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Om Shaped Temple: राजस्थान में बनकर तैयार हुआ दुनिया का पहला ऊँ आकार का मंदिर, एक साथ होंगे 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन

राजस्थान के पाली जिले में ऊँ के आकार (Om Shaped Temple) का पहला शिव मंदिर बनकर तैयार हुआ है जिसके बारे में चारों तरफ चर्चा है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसमें उनसे जुड़ी पौराणिक कथाओं के साथ उनके स्वरूपों का एक साथ दर्शन होगा जो बेहद दुर्लभ और शुभ माना जाता है। तो आइए इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं -

By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi DwivediUpdated: Thu, 15 Feb 2024 11:47 AM (IST)
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Om Shaped Temple: भगवान शिव को समर्पित है ओम मंदिर
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Om Shaped Temple: सनातन धर्म में ऊँ की ध्वनि बेहद ऊर्जावान और पवित्र मानी गई है, क्योंकि इससे वातावरण में सकारात्मकता और शांति का संचार होता है। ऊँ अपने आप में एक मंत्र है। किसी मंत्र या ग्रंथ में इसको शामिल करने से उसका महत्व बढ़ जाता है। वहीं अब इस आकार की तर्ज पर विश्व का पहला मंदिर हाल ही में राजस्थान के पाली जिले में बनकर तैयार हुआ है, जिसके बारे में चारों तरफ चर्चा है।

इस दिन होगी प्राण प्रतिष्ठा

1995 से बन रहे इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 28 साल बाद 19 फरवरी 2024 में होगी, जिसका इंतजार हर शिव भक्तों को है। हालांकि इस मंदिर का लोकार्पण 10 फरवरी को किया गया था, जिसमें शिव पुराण की कथा रखी गई थी। इस शुभता के प्रतीक को लोग दूर- दूर से देखने के लिए राजस्थान में पहुंच रहे हैं।

इस दिव्य मंदिर में होंगे 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन

ऊँ आकार के इस मंदिर को ओम शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है और यह मंदिर राजस्थान के पाली जिले के जद्दन गांव में स्थित है। यह 270 एकड़ में बना है और इस मंदिर की नींव साल 1995 में रखी गई थी और अब यह अपने निर्माण के आखिरी चरण में है। मंदिर में भगवान शिव की 1008 मूर्तियां हैं, जिनमें 12 ज्योतिर्लिंग शामिल हैं। 1200 स्तंभों पर आधारित 135 फीट लंबे इस मंदिर में 108 कमरे हैं और परिसर के केंद्र में गुरु माधवानंद जी की समाधि बनी हुई है।

भगवान शिव को समर्पित है यह मंदिर

ऊँ आकार का यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसमें उनसे जुड़ी पौराणिक कथाओं के साथ उनके स्वरूपों का एक साथ दर्शन होगा, जो बेहद दुर्लभ और शुभ माना जाता है। हालांकि भारत में कई शिव मंदिर हैं, लेकिन यह अपने आकार की वजह से चर्चा में है। बता दें, यह महादेव के प्रति समर्पण और भक्ति का प्रतीक है।

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