Panchkroshi Yatra: जानें, कब, कहां, कैसे और क्यों की जाती है पंचक्रोशी यात्रा और क्या है इसकी पौराणिक कथा?
Panchkroshi Yatra उज्जैन में पंचक्रोशी यात्रा वैशाख के महीने में की जाती है। वहीं वाराणसी में पंचक्रोशी यात्रा माघ के महीने में की जाती है। हालांकि अन्य दिनों और महीनों में भी पंचक्रोशी यात्रा की जा सकती है। उज्जैन में पंचक्रोशी यात्रा के दौरान पिंगलेश्वर कायावरोहणेश्वर विल्वेश्वर दुर्धरेश्वर नीलकंठेश्वर में स्थित शिव मंदिरों में बाबा के दर्शन किए जाते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 26 Nov 2023 07:04 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Panchkroshi Yatra: सनातन शास्त्रों में धर्म नगरी काशी का विशेष उल्लेख है। इसे बाबा की नगरी भी कहा जाता है। चिरकाल में काशी भगवान विष्णु का निवास स्थान था। कालांतर में काशी आगमन के चलते भगवान शिव को ब्रह्म वध से मुक्ति मिली थी। उस समय भगवान शिव ने विष्णु जी से काशी को निवास हेतु मांग लिया। भगवान विष्णु, शिव जी को मना नहीं कर सके। तब से काशी को बाबा की नगरी कहा जाता है। काशी अपनी विरासत के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा की नगरी काशी तीर्थ यात्रा के लिए आते हैं। काशी में कई प्रकार की यात्राएं की जाती हैं। इनमें पंचक्रोशी यात्रा बहुत प्रसिद्ध है। आइए, इस यात्रा के बारे में सबकुछ जानते हैं-
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क्या है पंचक्रोशी यात्रा?
सनातन धर्म में शिव संप्रदाय के लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं। वहीं, वैष्णव संप्रदाय के लोग जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। शैव संप्रदाय के लोग महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर भगवान शिव के निमित्त पंचक्रोशी यात्रा करते हैं। जानकारों की मानें तो पंचक्रोशी यात्रा उज्जैन और वाराणसी दोनों धार्मिक स्थलों पर की जाती है। हालांकि, दोनों की तिथि में अंतर है। उज्जैन में पंचक्रोशी यात्रा वैशाख के महीने में की जाती है। वहीं, वाराणसी में पंचक्रोशी यात्रा माघ के महीने में की जाती है। हालांकि, अन्य दिनों और महीनों में भी पंचक्रोशी यात्रा की जा सकती है। उज्जैन में पंचक्रोशी यात्रा के दौरान पिंगलेश्वर, कायावरोहणेश्वर, विल्वेश्वर, दुर्धरेश्वर, नीलकंठेश्वर में स्थित शिव मंदिरों में बाबा के दर्शन किए जाते हैं। इस यात्रा के पुण्य प्रताप से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
उज्जैन में कब की जाती है पंचक्रोशी यात्रा ?
धर्म गुरुओं की मानें तो उज्जैन में वैशाख के महीने में पंचक्रोशी यात्रा की जाती है। साथ ही देवउठनी एकादशी तिथि से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक भी पंचक्रोशी यात्रा की जाती है। इस समय में पंचक्रोशी यात्रा करना शुभ होता है। इसके अलावा, सिंहस्थ के दौरान पंचक्रोशी यात्रा का विशेष महत्व है।उज्जैन में पंचक्रोशी यात्रा के तीर्थ स्थल
उज्जैन में पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत ओंकारेश्वर से होती है। श्रद्धालु नर्मदा नदी में स्नान करने के बाद ममलेश्वर महादेव की पूजा करते हैं। इसी समय ध्वजा पूजा होती है। यह ध्वजा सबसे आगे रहता है। इसमें 5 कोस की यात्रा की जाती है। पंचक्रोशी यात्रा करने से गंगा नदी की परिक्रमा करने के समतुल्य फल प्राप्त होता है।