इस गुफा में होंगे 33 कोटि देवी-देवता के एक साथ दर्शन, जानिए और भी कई रोचक बातें
भारत के कोने-कोने में कई रहस्यमयी मंदिर और गुफाएं मौजूद हैं। इन सभी का इतिहास बहुत Patal Bhubaneswar Cave पौराणिक और खास है। ऐसी ही एक गुफा है उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा। स्कंद पुराण में भी इस गुफा का उल्लेख मिलता है। माना जाता है कि इस मंदिर में दुनिया खत्म होने का एक रहस्य छिपा हुआ है। आइए जानते हैं कैसे।
By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Fri, 11 Aug 2023 01:31 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Patal Bhubaneswar Cave: सनातन धर्म में 33 कोटि देवी-देवताओं का उल्लेख मिलता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इन सभी के दर्शन आप एक ही स्थान पर कर सकते हैं। जी हां, उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा में आप एक साथ 33 कोटि देवी-देवताओं के दर्शन कर सकते हैं। आइए जानते हैं इस गुफा की और भी कई रोचक बातें।
किसने की थी गुफा की खोज
कहा जाता है कि त्रेता युग में इस मंदिर की खोज करने वाले राजा ऋतुपर्णा पहले व्यक्ति थे। द्वापर युग में पांडवों ने इस गुफा को फिर से खोज निकाला और यहां रहकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने लगे। पौराणिक कथाओं के अनुसार, कलियुग में आठवीं सदी में इस गुफा की खोज आदि शंकराचार्य ने की थी।
इन देवी-देवताओं के होते हैं दर्शन
गुफा तक पहुचने के लिए बहुत ही संकीर्ण रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है। यह गुफा समुद्र तल से करीब 90 फीट गहरी और 160 मीटर लंबी है। गुफा में पहुचने पर आप एक ऐसी आकृति देखते हैं जो 100 पैरों वाला ऐरावत हाथी लगता है। उसके बाद एक ऐसी आकृति देखने को मिलती है जो नागों के अधिशेष को दर्शाती है। साथ ही पाताल भुवनेश्वर गुफा में एक अति प्राचीन शिवलिंग भी मौजूद है।गुफा में आगे चलने पर चमकीले पत्थर भगवान शिव जी के जटाओं से मां गंगा को प्रवाहित होते हुए दर्शाते हैं। मान्यता है कि इस गुफा में भगवान गणेश के कटे हुए सिर को स्थापित किया गया था। गुफा की ओर जाती हुई पतली सुरंग में विभिन्न देवी-देवताओं की जटिल छवियां बनी हुई हैं।
क्या हैं गुफा संबंधी मान्यता
पाताल भुवनेश्वर गुफा में एक अति प्राचीन शिवलिंग मौजूद है। ऐसा कहा जाता है कि इस शिवलिंग की लंबाई लगातार बढ़ रही है। और जब यह शिवलिंग गुफा की छत को स्पर्श कर लेगा तब इस पृथ्वी का नाश हो जाएगा। इस गुफा में चार खंभे भी मौजूद हैं जिन्हें 4 युग यानी सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलयुग का प्रतीक माना गया है।इन सभी खंभों में एक खंभे की लंबाई ज्यादा है जिसे कलयुग का खंभा माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस गुफा में चार द्वार मौजूद हैं जो इस प्रकार हैं- द्वार, पाप द्वार, धर्म द्वार और मोक्ष द्वार। माना जाता है कि जब रावण की मृत्यु हुई थी तब पापद्वार बंद हो गया था। इसके बाद महाभारत के युद्ध के बाद रणद्वार बंद हो गया था।डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'