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Shardiya Navratri 2024: मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है बगोई माता का मंदिर, भोग में चढ़ती है यह सब्जी

शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। धार्मिक मत है कि मां ब्रह्मचारिणी (Bagoi Mata Temple) की पूजा करने से साधक की हर एक मनोकामना समय पर पूर्ण हो जाती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Fri, 04 Oct 2024 08:37 AM (IST)
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Bagoi Mata Temple: बगोई माता का मंदिर का इतिहास एवं धार्मिक महत्व
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्र (Navratri 2024) मनाया जाता है। यह त्योहार मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त नवरात्र का व्रत रखा जाता है। वहीं, शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी तप की देवी हैं। कठिन साधना करने वाले साधक को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं। सामान्य साधक पर भी मां की विशेष कृपा बरसती हैं। उनकी कृपा से साधक के सभी दुख दूर हो जाते हैं। मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग अति प्रिय है। अतः मां मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के समय उन्हें शक्कर, मिश्री, खीर, पंचामृत अर्पित की जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि देश में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां मां ब्रह्मचारिणी को पूजा के समय प्रसाद में कद्दू भेंट की जाती है? आइए जानते हैं-

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कहां है बगोई माता का मंदिर (Bagoi Mata Temple)

मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित बगोई माता का मंदिर मध्यप्रदेश के देवास जिले के जंगल में स्थित है। यह स्थान देवास जिले के बेहरी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर है। स्थानीय लोगों में बगोई माता के प्रति अगाध श्रद्धा है। धार्मिक मत है कि बगोई माता के मंदिर से कोई खाली हाथ नहीं लौटता है। साधक की सभी मनोकामनाएं माता की कृपा से पूर्ण होती हैं। साधक नंगे पांव माता के दर पहुंचते हैं। दूर-दूर से श्रद्धालु बगोई माता के दरबार पर हाजिरी एवं अर्जी लगाने आते हैं। एक बार मनोकामना पूर्ण होने के बाद बगोई माता को मिश्री, मेवा और पंचामृत का भोग लगाते हैं। इस मंदिर में बगोई माता को कद्दू का भोग भी लगाया जाता है।

कद्दू का भोग  (Maa Brahmacharini Vegetables Bhog)

मध्यप्रदेश के देवास जिले में स्थित बगोई माता को कद्दू का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा, दूध, घी, गुड़ और पंचामृत भी अर्पित की जाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कद्दू का भोग लगाने से बगोई माता प्रसन्न होती हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती हैं। बगोई माता की कृपा से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। साधक मनोकामना पूर्ति हेतु या मनोकामना पूर्ण होने पर बगोई माता को प्रसाद में कद्दू भेंट करते हैं। बगोई माता के मंदिर में उपलब्ध भभूति का प्रयोग करने से सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।

कैसे पहुंचे बगोई माता मंदिर

साधक यातायात के किसी माध्यम से मध्यप्रदेश के देवास पहुंच सकते हैं। हालांकि, बेहरी से बगोई माता मंदिर तक साधक को नंगे पांव जाना होता है। बगोई माता का मंदिर बेहरी क्षेत्र के वन में स्थित है। साधक फ्लाइट से देवास पहुंच सकते हैं। इसके अलावा, ट्रेन के जरिए भी देवास जा सकते हैं। देवास से सड़क मार्ग के जरिए बेहरी जा सकते हैं। नवरात्र के मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु बगोई माता के दर्शन हेतु देवास पहुंचते हैं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।