Shiv Temple: यहां प्रकृति स्वयं करती है शिवलिंग का जलाभिषेक, दिन में दो बार समुद्र में समा जाता है मंदिर
Shiv Temple शास्त्रों में भगवान शिव पर जल चढ़ाने का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में यदि सावन के पवित्र माह में शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाए तो इससे व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। लेकिन क्या आपने एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में सुना है जहां प्रकृति स्वयं शिवलिंग का जलाभिषेक करती है। आइए जानते हैं ऐसे ही एक अद्भुत मंदिर के बारे में।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Shiv Temple: भारत में भगवान शिव को समर्पित कई ऐसे मंदिर हैं जहां रोचक घटनाएं घटित होती हैं। ऐसा ही एक मंदिर है गुजरात का श्री स्तंभेश्वर महादेव मंदिर। इस मंदिर की खास बात यह है कि रोजाना दिन में दो बार यानी सुबह और शाम के वक्त यह मंदिर गायब हो जाता है। इसके पीछे एक प्राकृतिक घटना मौजूद है। आइए जानते हैं इस मंदिर का रोचक इतिहास।
कैसे गायब होता है यह मंदिर
श्री स्तंभेश्वर महादेव मंदिर 150 साल पुराना है। दरअसल यह मंदिर अरब सागर और खंभात की खाड़ी से घिरा हुआ है। जब समुद्र में उच्च ज्वार उठती है तो यह मंदिर पूरी तरह से समुद्र में डूब जाता है। ऐसा दिन में दो बार होता है। जब जल स्तर नीचे आ जाता है तो यह मंदिर फिर से दिखाई देने लगता है। आस्था के चलते लोगों का मानना है कि समुद्र दिन में दो बार शिवलिंग का अभिषेक करता है।
कैसे हुआ मंदिर का निर्माण
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां मौजूद शिवलिंग महादेव के पुत्र भगवान कार्तिकेय ने स्थापित किया था। इस शिवलिंग को स्थापित करने के पीछे कारण यह था कि भगवान कार्तिकेय ने राक्षस तारकासुर का वध किया था। तारकासुर भगवान शिव का भक्त था। इस कारण भगवान कार्तिकेय को अपराध बोध होने लगा। इसलिए भगवान विष्णु ने उन्हें शिवलिंग स्थापित करने और क्षमा प्रार्थना करने की सलाह दी थी। तब भगवान कार्तिकेय ने इस शिवलिंग की स्थापना की।
दर्शन के लिए यह समय है सबसे उत्तम
श्री स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय पूर्णिमा या पूर्णिमा की रात है। क्योंकि इस समय समुद्र में ज्वार भाटा उत्पन्न होते हैं। साथ ही सावन के महीने में इस मंदिर में शिवलिंग के दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। महा शिवरात्रि का समय भी इस मंदिर का दर्शन करने के लिए अच्छा माना गया है। भक्तों को अपनी यात्रा की योजना इस प्रकार बनानी चाहिए कि वे पूरे मंदिर को गायब होते और उसी दिन फिर से प्रकट होते देख सकें।
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