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देश का एक ऐसा मंदिर, जहां राधा-कृष्ण संग विराजमान हैं रुक्मिणी, वर्षों पुराना है इसका इतिहास

उत्तर प्रदेश का मुरली मनोहर मंदिर ( Murli Manohar Temple History) कृष्ण प्रेमियों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण-राधा के संग रुक्मिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रभु के दर्शनों के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। किसी खास पर्व के अवसर पर मंदिर में भक्तों की अधिक भीड़ देखने को मिलती है। आइए जानते हैं मंदिर से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 18 Sep 2024 03:21 PM (IST)
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Murli Manohar Temple: मंदिर में कृष्ण-राधा संग रुक्मिणी के होते हैं दर्शन
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भारत में देवी-देवताओं के ऐसे कई मंदिर हैं, जो किसी मान्यता, रहस्य या अन्य कारण से प्रसिद्ध हैं। एक ऐसा ही मंदिर उत्तर प्रदेश में स्थित है, जिसका नाम मुरली मनोहर मंदिर (Murli Manohar Temple Significance) है। यह मंदिर राज्य के झांसी शहर में है। मंदिर भगवान श्रीकृष्ण और राधा को समर्पित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि मंदिर में राधा-कृष्ण के संग रुक्मिणी भी विराजमान हैं। इसका का इतिहास बहुत ही पुराना बताया जाता है।

मुरली मनोहर मंदिर का इतिहास ( Murli Manohar Temple History)

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मंदिर (Murli Manohar Temple in India) का निर्माण करीब 250 वर्ष पहले हुआ था। प्राचीन कथाओं के अनुसार, इस मंदिर को झांसी की रानी लक्ष्मीबाई सास के द्वारा हुआ था। मंदिर की सबसे खास बात यह है कि मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण-राधा के संग उनकी पत्नी रुक्मिणी की प्रतिमा भी विराजमान हैं। मंदिर में साधकों को श्रीकृष्ण-राधा और रुक्मिणी के एक साथ दर्शन करने का लाभ प्राप्त होता है। मंदिर को भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और राधा अष्टमी और अन्य खास पर्व के शुभ अवसर पर सुंदर तरीके से सजाया जाता है और खास रौनक देखने को मिलती है।  

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मंदिर राजशाही परिवार की याद को ताजा करता है ताजा

आज के समय में यह मंदिर राजशाही परिवार की याद को ताजा करता है। मंदिर में राजा गंगाधर राव की मां सक्कू बाई भगवान श्रीकृष्ण-राधा और रुक्मिणी की पूजा-अर्चना और दर्शन करने के लिए आती थी। ऐसा बताया जाता है कि वर्ष 1842 में लक्ष्मीबाई राजा गंगाधर की पत्नी बनने के बाद वो इस मंदिर में उपासना करने के लिए आती थी।  

कैसे पहुंचे मुरली मनोहर मंदिर?

अगर आप मुरली मनोहर मंदिर जाने का प्लान बना रहे हैं, तो हवाई, रेल और सड़क मार्ग के माध्यम से सरलता से पहुंच सकते हैं। झांसी से 103 किमी दूर ग्वालियर हवाई अड्डा है। यहां से आप टैक्सी और बस के जरिए मंदिर पहुंच सकते हैं। वहीं, झांसी रेलवे स्टेशन भी पास में है। इसके अलावा सड़क मार्ग के जरिए भी मंदिर पहुंच सकते हैं। झांसी कई प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।