Vaishno Devi Mandir: माता रानी ने की थी अर्द्धकुमारी में नौ महीने तपस्या, जानें क्या है गर्भजून की पौराणिक कथा
Vaishno Devi Mandir वैष्णो देवी के कपाट जनता के लिए खोले जा चुके हैं। यह विश्व प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर जम्मू-कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में कटरा नगर के पास स्थित है।
By Shilpa SrivastavaEdited By: Updated: Sat, 22 Aug 2020 08:03 AM (IST)
Vaishno Devi Mandir: वैष्णो देवी के कपाट जनता के लिए खोले जा चुके हैं। यह विश्व प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर जम्मू-कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में कटरा नगर के पास स्थित है। जिन पहाड़ियों में यह मंदिर स्थित है उसे त्रिकुटा पहाड़ी कहते हैं। यह मंदिर करीब 5,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर में मातारानी की स्वयंभू तीन मूर्तियां स्थित हैं। देवी काली, सरस्वती और लक्ष्मी पिण्ड के रूप में ये तीनों मूर्तियां गुफा में मौजूद हैं। इन्हीं को वैष्णो देवी कहा जाता है। वैष्णो देवी को जाते समय एक और गुफा पड़ती है जिसे अर्द्धकुमारी कहा जाता है। इसे आदिकुमारी या गर्भजून के नाम से भी जाना जाता है।
वैष्णो देवी को लेकर एक कथा प्रचलित है जिसमें अर्द्धकुमारी का जिक्र भी है। एक बार त्रिकुटा की पहाड़ी पर भैरवनाथ ने एक सुंदर कन्या को देखा और उसे पकड़ने के दौड़े। वह कन्या वायु के रूप में बदल गई और त्रिकूटा पर्वत की ओर उड़ चली। भैरवनाथ भी उनके पीछे भाग चले। मान्यता है कि माता की रक्षा के लिए हनुमान जी भी वहां पहुंच गए। इसी बीच हनुमानजी को प्यास लगने लगी। उनके आग्रह पर माता ने धनुष से पहाड़ पर बाण चलाया। इससे एक जलधारा निकली और उस जल में उन्होंने अपने केश धोए। वहीं, पर एक गुफा में माता ने प्रवेश किया और नौ माह तक वहीं तपस्या की। जब तक माता ने तपस्या की हनुमान जी ने वहां पहरा दिया।
वहां पर भी भैरवनाथ आ धमका। यहां पर एक साधु ने भैरवनाथ से कहा, तू जिसे एक साधारण कन्या मान रहा है वो आदिशक्ति जगदम्बा है। उस महाशक्ति का पीछा छोड़ दे वरना अच्छा नहीं होगा। लेकिन साधु की बात भैरवनाथ ने नहीं मानी। इसी बीच माता रानी गुफा की दूसरी ओर से मार्ग बनाकर बाहर निकल गईं। इसी गुफा को अर्द्धकुमारी के नाम से जाना जाता है। इस गुफा को आदिकुमारी या गर्भजून भी कहा जाता है। इस गुफा में प्रवेश द्वार पर माता रानी की चरण पादुका भी मौजूद है।
जैसे ही माता रानी गुफा से बाहर निकली उन्होंने देवी का रूप धारण कर लिया। उन्होंने भैरवनाथ से वापस जाने के लिए कहा। लेकिन वह नहीं माना। वह गुफा में प्रवेश करने लगा। यह देखकर हनुमान जी ने उसे युद्ध के लिए ललकारा। दोनों में युद्ध शुरू हो गया। जब माता ने देखा कि युद्ध का अंत नहीं हो रहा है तब माता वैष्णवी ने महाकाली का रूप धारण किया और भैरवनाथ का वध कर दिया।