Annapurna Mandir: अन्नपूर्णा माता के इस मंदिर में एक साथ होते हैं भगवान शिव, हनुमान और काल भैरव के दर्शन
सनातन शास्त्रों में निहित है कि चिर काल में एक बार पृथ्वी पर अन्न की कमी हो गई। इससे पृथ्वी पर हाहाकार मच गया। उस समय पृथ्वी वासियों ने जगत के पालनहार भगवान विष्णु एवं ब्रह्मा जी की पूजा-उपासना की और अन्न की समस्या को दूर करने की कामना की। पृथ्वीवासियों की व्यथा सुन भगवान विष्णु ने चराचर के स्वामी भगवान शिव को विषय से अवगत कराया।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 02 May 2024 06:13 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Annapurna Mandir: मध्य प्रदेश अपनी विरासत के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इस राज्य में कई प्रमुख धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल हैं। इनमें एक अन्नपूर्णा मंदिर है। यह मंदिर अन्न की देवी मां पार्वती को समर्पित है। इस मंदिर में मां अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है। इतिहासकारों की मानें तो अन्नपूर्णा मंदिर का निर्माण नौवीं शताब्दी में हुई है। आधुनिक समय में महामंडलेश्वर स्वामी प्रभानंद गिरिमहराज द्वारा मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया था। उस समय से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री मां पार्वती के दर्शन एवं पूजा हेतु अन्नपूर्णा मंदिर आते हैं। धार्मिक मत है कि मां के दर पर आने वाले भक्तों की सभी मुराद पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त अन्न और धन की समस्या दूर होती है। आइए, अन्नपूर्णा मंदिर के बारे में सबकुछ जानते हैं-
सनातन शास्त्रों में निहित है कि चिर काल में एक बार पृथ्वी पर अन्न की कमी हो गई। इससे पृथ्वी पर हाहाकार मच गया। उस समय पृथ्वी वासियों ने जगत के पालनहार भगवान विष्णु एवं ब्रह्मा जी की पूजा-उपासना की और अन्न की समस्या को दूर करने की कामना की। पृथ्वीवासियों की व्यथा सुन भगवान विष्णु ने चराचर के स्वामी भगवान शिव को विषय से अवगत कराया। यह जान स्वयं देवों के देव महादेव एवं माता पार्वती पृथ्वी लोक पर आये। अन्न की कमी को दूर करने हेतु जगत जननी मां पार्वती ने अन्नपूर्णा स्वरूप ग्रहण कर भगवान शिव को दान में अन्न दिया। उस समय भगवान शिव ने दान में मिले अन्न को पृथ्वी वासियों में बांट दिया। इससे पृथ्वी पर होने वाली अन्न की समस्या दूर हुई।
अन्नपूर्णा मंदिर कहां है ?
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर स्थित क्रांति कृपलानी नगर में अन्नपूर्णा मंदिर स्थित है। इस मंदिर की स्थापना 9वीं शताब्दी में हुई है। इसके पश्चात वर्ष 1959 में महामंडलेश्वर स्वामी प्रभानंद गिरि महाराज द्वारा अन्नपूर्णा मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया। वहीं, मंदिर का मुख्य द्वार 80 के दशक (1975) में किया गया। इस मंदिर का निर्माण इंडो-आर्यन और द्रविड़ शैली में किया गया है। श्रद्धालु फ्लाइट, रेल और बस सेवा के माध्यम से इंदौर पहुंच सकते हैं। इंदौर से क्रांति कृपलानी नगर की दूरी महज 06 किलोमीटर है।मंदिर का नवीनीकरण
अन्नपूर्णा मंदिर का लोकार्पण 03 फरवरी, 2023 को हुआ। इस दिन मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए। इससे पूर्व साल 2020 में अन्नपूर्णा मंदिर के नवीनीकरण हेतु भूमि पूजन किया गया था। संगमरमर से निर्मित यह मंदिर 6600 वर्ग फीट में फैला है। पूर्व के समय में स्थापित मां अन्नपूर्णा, कालिका एवं सरस्वती की मूर्तियों को नवीन मंदिरों में स्थापित की गई हैं। वहीं, मंदिर परिसर में भगवान शिव, काल भैरव देव एवं हनुमान जी की प्रतिमाएं भी भिन्न-भिन्न मंदिर में स्थापित की गई हैं। अन्नपूर्णा मंदिर के मुख्य द्वार पर चार गजराज की मूर्तियां है। वहीं, मंदिर की लंबाई 108 फीट और चौड़ाई 54 फीट है। जबकि, कलश की ऊंचाई 81 फीट है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन हेतु अन्नपूर्णा मंदिर आते हैं।
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