क्या सच में कलयुग समापन के समय यागंती मंदिर में पत्थर के नंदी जीवित हो उठेंगे?
श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर (Shri Uma Maheshwara Swamy Temple) भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में भगवान शिव संग मां पार्वती की प्रतिमा स्थापित है। साथ ही नंदी जी की भी प्रतिमा मंदिर में अवस्थित है। यह मंदिर विजयनगर साम्राज्य के समकालीन है। धार्मिक मत है कि श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर में भगवान शिव एवं मां पार्वती के दर्शन से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 23 Jul 2024 12:00 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान शिव की महिमा का विस्तारपूर्वक वर्णन शिव पुराण में है। भगवान शिव अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। उनकी कृपा से भक्तजनों के सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। शास्त्रों में निहित है कि भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। आसान शब्दों में कहें तो भगवान शिव की पूजा करने से मनचाहे वर की प्राप्ति शीघ्र हो जाती है। अतः बड़ी संख्या में भक्तजन अपने आराध्य भगवान शिव की पूजा-उपासना करते हैं। वहीं, तंत्र सीखने वाले साधक भगवान शिव की कठिन साधना करते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस अवसर पर देशभर में स्थित शिव मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया जाता है। बड़ी संख्या में शिवभक्त बाबा के दर्शन हेतु देश भर की तीर्थ यात्रा करते हैं। इनमें एक मंदिर आंध्र प्रदेश के नांदयाल जिले में स्थित है। इस मंदिर की प्रसिद्धि दुनियाभर में है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर में स्थित पत्थर से निर्मित नंदी जी की प्रतिमा (Yaganti Temple stone Nandi) का आकार दिन व दिन बढ़ता जा रहा है। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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कथा (Yaganti Temple Beliefs)
दक्षिण भारत में उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर यह कहा जाता है कि ऋषि अगस्त्य श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर के स्थान पर भगवान विष्णु का मंदिर बनाना चाहते थे। इसके लिए प्रतिमा का निर्माण भी कराया गया था। हालांकि, स्थापना से पहले ही प्रतिमा खंडित हो गई। इससे ऋषि अगस्त्य बेहद दुखी हुए। उस समय उन्हें कुछ समझ न आया। इसके बाद उन्होंने भगवान शिव की कठिन तपस्या की। ऋषि अगस्त्य की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिया। दर्शन देने के समय ऋषि अगस्त्य ने पूछा कि आखिर किस वजह से भगवान विष्णु की प्रतिमा खंडित हो गई। तब भगवान शिव ने कहा कि यह स्थान शिवालय हेतु अधिक उपयुक्त है। प्रकृति भी चाहती है कि आप यहां पर शिव मंदिर की स्थापना करें। इस स्थल का आकार और संरचना कैलाश समान है। अतः आप यहां पर शिव मंदिर बनाएं। उस समय ऋषि अगस्त्य ने भगवान शिव से याचना की कि आप दोनों यानी शिव और पार्वती एक ही पत्थर में दर्शन दें। ऋषि अगस्त्य की प्रार्थना को भगवान शिव ने स्वीकार कर लिया।कहां है मंदिर
श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर आंध्र प्रदेश के नांदयाल जिले में है। इस मंदिर का निर्माण हरिहर बुक्का राय ने करवाया था, जो अकबर के समकालीन थे। श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर का निर्माण विजयनगर साम्राज्य की वास्तुकला शैली में हुई है। कुरनूल से नांदयाल जिले की दूरी 100 किलोमीटर है। शिव भक्त कुरनूल से नांदयाल पहुंच सकते हैं।