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5,000 हजार वर्ष पुरानी अमरनाथ गुफा पूरी तरह से प्राकृतिक है

अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले भक्त बाबा अमरनाथ के दर्शनार्थ जिस गुफा में आते हैं वहां प्राकृतिक हिमशिवलिंग का बहुत अधिक महत्व है। यह वही गुफा है जहां भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती को अमरत्व हासिल करने की कथा सुनाई थी।

By Preeti jhaEdited By: Updated: Thu, 02 Jul 2015 11:29 AM (IST)
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अमरनाथ यात्रा पर जाने वाले भक्त बाबा अमरनाथ के दर्शनार्थ जिस गुफा में आते हैं वहां प्राकृतिक हिमशिवलिंग का बहुत अधिक महत्व है। यह वही गुफा है जहां भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती को अमरत्व हासिल करने की कथा सुनाई थी।

वैसे भगवान शिव के दर्शन करने के लिए पांच प्रमुख तीर्थ स्थान हैं जिनमें प्रमुख स्थान हैं कैलाश पर्वत, अमरनाथ, केदारनाथ, काशी और पशुपतिनाथ। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार कश्मीर की घाटी जलमग्न हो गई। उसने एक बड़ी झील का रूप ले लिया। जगत के प्राणियों की रक्षा के लिए ऋषि कश्यप ने इस जल को अनेक नदियों और छोटे-छोटे जलस्रोतों द्वारा बहा दिया।

उसी समय भृगु ऋषि पवित्र हिमालय पर्वत की यात्रा के दौरान वहां से गुजरे। तब जल स्तर कम होने पर हिमालय की पर्वत श्रृंखला में सबसे पहले भृगु ऋषि ने अमरनाथ की पवित्र गुफा और बर्फानी शिवलिंग को देखा। माना जाता है कि तभी से यह स्थान शिव आराधना का प्रमुख देवस्थान बन गया और अनगिनत तीर्थयात्री शिव के अद्भुत स्वरूप के दर्शन के लिए इस दुर्गम यात्रा कर यहां आते हैं।

5,000 हजार वर्ष पुरानी गुफा

जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से करीब 141 किलोमीटर दूर 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा को भारतीय पुरातत्व विभाग 5 हजार वर्ष प्राचीन मानता है। यानी हम कह सकते हैं कि महाभारत काल में यह गुफा थी।

लेकिन उनका यह आकलन गलत भी हो सकता है। वो इस तरह कि जब 5 हजार वर्ष पहले गुफा थी तो उसके पूर्व क्या गुफा नहीं थी? जबकि हिमालय के प्राचीन पहाड़ों लाखों वर्ष पुराने माने जाते हैं। यह गुफा मानव निर्मित नहीं है। पूरी तरह से प्राकृतिक है।

'राजतरंगिनी तरंग द्वितीय' में मिलता है उल्लेख

कल्हण की 'राजतरंगिनी तरंग द्वितीय' में उल्लेख मिलता है कि कश्मीर के राजा सामदीमत शिव के भक्त थे और वे पहलगाम के वनों में स्थित बर्फ के शिवलिंग की पूजा करने जाते थे। बर्फ का शिवलिंग कश्मीर को छोड़कर विश्व में कहीं भी नहीं है।

बृंगेश संहिता, नीलमत पुराण, कल्हण की राजतरंगिनी आदि में अमरनाथ तीर्थ का बराबर उल्लेख मिलता है। बृंगेश संहिता में कुछ महत्वपूर्ण स्थानों का उल्लेख है, जहां तीर्थयात्रियों को अमरनाथ गुफा की ओर जाते समय धार्मिक अनुष्ठान करने पड़ते थे।

उनमें अनंतनया (अनंतनाग), माच भवन (मट्टन), गणेशबल (गणेशपुर), मामलेश्वर (मामल), चंदनवाड़ी (2,811 मीटर), सुशरामनगर (शेषनाग, 3454 मीटर), पंचतरंगिनी (पंचतरणी, 3,845 मीटर) और अमरावती शामिल हैं।