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Aja Ekadashi 2023: अजा एकादशी पर होने जा रहा है अत्यंत दुर्लभ संयोग का निर्माण, नोट कर लीजिए पूजा का सही समय

Aja Ekadashi 2023 2023 हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकदशी व्रत रखने से व्यक्ति को विशेष लाभ प्राप्त होता है। बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन अजा एकादशी व्रत रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु की उपासना करने से साधक को सभी पापों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Fri, 08 Sep 2023 11:20 AM (IST)
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Aja Ekadashi 2023: अजा एकादशी पर इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान विष्णु की आराधना।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Aja Ekadashi 2023: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रत्येक वर्ष 24 एकादशी व्रत रखे जाते हैं। वहीं भाद्रपद मास के कृष्ण पक्षी एकादशी तिथि को अजा एकादशी व्रत रखा जाता है। इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु की उपासना करने से और उपवास का पालन करने से साधक को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही यह व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है और मनोकामना पूर्ण होती है। वैदिक पंचांग के अनुसार, अजा एकादशी व्रत के दिन दो अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जिसमें पूजा पाठ करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है। आइए जानते हैं, अजा एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त, योग और महत्व।

अजा एकादशी व्रत 2023 शुभ योग

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 09 सितंबर रात्रि 07 बजकर 17 मिनट से शुरू होगी और 10 सितंबर रात्रि 09 बजकर 28 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में अजा एकादशी व्रत 10 सितंबर 2023, रविवार के दिन रखा जाएगा। इस विशेष दिन पर पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। साथ ही इस दिन वरीयान योग, रवि पुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण होगा, जिन्हें सभी मांगलिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।

वरीयान योग: रात्रि 11 बजकर 20 मिनट तक

पुनर्वसु नक्षत्र: शाम 05 बजकर 06 मिनट तक

पुष्य नक्षत्र: शाम 05 बजकर 06 मिनट से प्रारंभ

रवि पुष्य योग: शाम 05 बजकर 06 मिनट से 11 सितंबर सुबह 05 बजकर 26 मिनट तक

सर्वार्थ सिद्धि योग: शाम 05 बजकर 06 मिनट से 11 सितंबर सुबह 05 बजकर 26 मिनट तक

अजा एकादशी व्रत पूजा विधि

अजा एकादशी व्रत के दिन साधक को कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और पूजा स्थल की साफ-सफाई करें। इसके बाद ईशान कोण में एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। ऐसा करने के बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु को धूप, दीप, पुष्प, पंचामृत, तुलसी, चंदन इत्यादि अर्पित करें। फिर भगवान को फल एवं मिठाई का भोग लगाएं और आरती के साथ पूजा संपन्न करें। इस बात का ध्यान रखें की आरती से पहले एकादशी व्रत कथा का पाठ जरूर करें।

अजा एकादशी व्रत का महत्व

शास्त्रों में यह बताया गया है कि अजा एकादशी व्रत के दिन उपवास रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। इसके साथ व्यक्ति को भूत-प्रेत, ग्रह दोष इत्यादि के भय से मुक्ति प्राप्त हो जाती है और मृत्यु के उपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन एकादशी व्रत कथा का श्रवण करने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।

डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहे।