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Akshaya Navami के दिन भगवान विष्णु की आरती करते समय इन बातों का रखें ध्यान, मनचाहा मिलेगा करियर

एकादशी तिथि के अलावा भगवान विष्णु को अक्षय नवमी का पर्व भी समर्पित है। पंचांग के अनुसार इस बार अक्षय नवमी का त्योहार आज यानी 10 नवंबर (Akshaya Navami 2024) को मनाया जा रहा है। इस दिन लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और आंवले पेड़ के नीचे प्रसाद बनाकर प्रभु को अर्पित करते हैं। मान्यता है कि इससे जातक को मनचाहा करियर मिलता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 10 Nov 2024 08:45 AM (IST)
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Akshaya navami 2024: यहां पढ़ें भगवान विष्णु की आरती
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर अक्षय नवमी मनाई जाती है। इसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय नवमी व्रत करने से बिज़नेस में सफलता प्राप्त होती है। अगर आप भी जगत के पालनहार भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो अक्षय नवमी की पूजा के दौरान विष्णु जी की आरती जरूर करें। मान्यता है कि आरती करने से जातक को पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

इन बातों का रखें ध्यान

  • आरती हमेशा खड़े होकर करनी चाहिए।
  • आरती विधिपूर्वक करनी चाहिए।
  • इस दौरान किसी के बारे में गलत न सोचें।
  • आरती की थाली तांबे, पीतल या फिर चांदी की होनी चाहिए।
  • आरती के बाद सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए कामना करें।
  • इसके बाद भोग अर्पित करना चाहिए।

भगवान विष्णु की आरती

ॐ जय जगदीश हरे आरती

ॐ जय जगदीश हरे...

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

स्वामी दुःख विनसे मन का।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

ॐ जय जगदीश हरे...

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।

स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

स्वामी तुम अन्तर्यामी।

पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 09 नवंबर को देर रात 10 बजकर 45 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं, नवमी तिथि का समापन 10 नवंबर को रात 09 बजकर 01 मिनट पर होगा। अतः 10 नवंबर को अक्षय नवमी मनाई जाएगी। इस दिन महिलाएं व्रत रख सकती हैं।

स्वामी तुम पालन-कर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

ॐ जय जगदीश हरे...

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

स्वामी सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥

ॐ जय जगदीश हरे...

दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

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विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

स्वामी पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥

ॐ जय जगदीश हरे...

श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

स्वामी जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

ॐ जय जगदीश हरे...

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।