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Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर इस स्तोत्र का करें पाठ, आय और सौभाग्य में होगी अपार वृद्धि

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि के दिन अक्षय तृतीया मनाई जाती है। इस बार अक्षय तृतीया 10 मई को है। इस खास अवसर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही स्नान-दान तप भी किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 06 May 2024 03:53 PM (IST)
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Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर इस स्तोत्र का करें पाठ, आय और सौभाग्य में होगी अपार वृद्धि
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Mahalakshmi Stotram Lyrics: सनातन धर्म में अक्षय तृतीया के पर्व का अधिक महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि के दिन अक्षय तृतीया मनाई जाती है। इस बार अक्षय तृतीया 10 मई को है। इस खास अवसर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही स्नान-दान, तप भी किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अगर आप भी मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो अक्षय तृतीया पर सच्चे मन से महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ जरूर करें। मान्यता है कि इससे कभी पैसों की कमी नहीं रहेगी। साथ ही सुख और शांति की प्राप्ति होगी।

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।।महालक्ष्मी स्तोत्र।।

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।

शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयंकरि।

सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

सर्वज्ञे सर्ववरदे देवी सर्वदुष्टभयंकरि।

सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।

मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।

योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।

महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

पद्मासनस्थिते देवि परब्रह्मस्वरूपिणी।

परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

श्वेताम्बरधरे देवि नानालंकारभूषिते।

जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।

महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।

सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।

द्विकालं य: पठेन्नित्यं धन्यधान्यसमन्वित:।।

त्रिकालं य: पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।

महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा।।

पूजा के दौरान इन मंत्रों का करें जाप

1. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥

2. ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥

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डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देंश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।