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Anant Chaturdashi 2019 Date: आज धूमधाम से विदा होंगे गणपति बप्पा, शुभ मुहूर्त में होगा विसर्जन

Anant Chaturdashi 2019 Date Ganesh Visarjan Ganesh Visarjan Muhurat आज अनंत चतुर्दशी को धूमधाम से गणपति बप्पा विदा होंगे और शुभ मुहूर्त में उनका विसर्जन होगा।

By kartikey.tiwariEdited By: Updated: Wed, 11 Sep 2019 11:20 AM (IST)
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Anant Chaturdashi 2019 Date: आज धूमधाम से विदा होंगे गणपति बप्पा, शुभ मुहूर्त में होगा विसर्जन
Anant Chaturdashi 2019 Date: भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से प्रारंभ हुआ गणेशोत्सव भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को धूमधाम से गणपति बप्पा के विसर्जन से संपन्न होगा। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन ढोल-नगाड़े के साथ गणपति बप्पा को लोग खुशी-खुशी विदा करते हैं। इस वर्ष अनंत चतुर्दशी आज मनाई जा रही है, ऐसे में गणपति के प्रतिमाओं का विसर्जन भी आज शुभ मुहूर्त में किया जाएगा। 

शुभ मुहूर्त में होगा गणपति का विसर्जन/Ganpati Visarjan in Shubh Muhurat

जो लोग अपने घर या पंडाल में 10 दिनों के लिए गणपति बप्पा के प्रतिमाओं को स्थापित करते हैं, वे लोग गुरुवार को गणपति का विसर्जन करेंगे। जिस प्रकार से शुभ मुहूर्त में गणपति की स्थापना की जाती है, वैसे ही उनका विसर्जन भी शुभ मुहूर्त में होता है।

गणेशोत्सव के दौरान अलग दिनों के लिए गणेश प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। कुछ लोग गणेश प्रतिमा डेढ़ दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन, 9 दिन और 11 दिन के लिए स्थापित करते हैं। उसके बाद विधि विधान से बप्पा का विर्सजन कर देते हैं।

गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त/Ganesh Visarjan Muhurat

सुबह का मुहूर्त (शुभ): सुबह 06:08 बजे से सुबह 07:40 मिनट तक।

सुबह का मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत): सुबह 10:45 बजे से दोपहर 03:22 बजे तक।

दोपहर का मुहूर्त (शुभ): शाम 04:54 बजे से शाम 06:27 बजे तक।

शाम का मुहूर्त (अमृत, चर): शाम 06:27 बजे से रात 09:22 बजे तक।

रात का मुहूर्त (लाभ): 13 सितंबर को राज 12:18 बजे से रात 01:45 बजे तक।

इन शुभ मुहूर्त में से किसी भी समय गणपति बप्पा को आप विदा कर सकते हैं। बप्पा को लोग इसलिए विदा करते हैं, ताकि वे अगले वर्ष फिर उनके घर वे पधारें और उनके विघ्न-बाधाओं को हर कर जीवन में खुशहाली दें।

गणपति की प्रतिमाओं का विसर्जन आस पास किसी तालाब, नदी या बहते जल के स्रोत में किया जाता है। खासतौर पर मिट्टी के बने गणपति को ही जल में विसर्जित किया जाना चाहिए। मिट्टी के गणपति आसानी से पानी में घुल जाते हैं, जिससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होता है।