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Bada Mangal 2023: ज्येष्ठ मास का दूसरा बड़ा मंगल आज जानिए मंत्र, पूजा विधि और नियम

Bada Mangal 2023 ज्येष्ठ मास का दूसरा बड़ा मंगल आज के दिन है। मान्यता है कि आज के दिन हनुमान जी उपासना करने से साधक को सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।

By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Tue, 16 May 2023 07:00 AM (IST)
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Bada Mangal 2023: इस महीने का दूसरा बड़ा मंगल आज।
नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Bada Mangal 2023: ज्येष्ठ मास में हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है। इस महीने में पड़ने वाले प्रत्येक मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ मास में ही भगवान श्री राम की हनुमान जी से भेंट हुई थी। यही कारण है कि इस महीने में हनुमान जी की पूजा करने से साधक को रोग, दोष और अन्य प्रकार के भय से मुक्ति मिल जाती है। बता दें कि आठ चिरंजीवी देवताओं में हनुमान जी का भी नाम है, जिन्हें अमरत्व का वरदान प्राप्त है। वहीं हनुमान जी को कलयुग के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। ऐसे में ज्येष्ठ मास के दूसरे बड़ा मंगल पर इस विधि से करें हनुमानजी की पूजा।

हनुमान जी की पूजा विधि

हनुमान जी की पूजा करने से पहले प्रात: काल में स्नान-ध्यान करें और पूजा-स्थल की साफ-सफाई करें। इसके बाद साफ वस्त्र धारण करें और कुश के आसन पर बैठें। जो लोग मंगलवार का व्रत रखते हैं, वह घी का दीपक जलाकर व्रत का संकल्प लें। हनुमान जी को तिलक, सिंदूर, गंध, पुष्प, धूप, दीप इत्यादि अर्पित करें। इसके बाद उन्हें बूंदी के लड्डू या नैवेद्य अर्पित करें। अंत में हनुमान जी की आरती और हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें।

हनुमान जी की पूजा में इन नियमों का रखें ध्यान

  • आध्यात्मिक व ज्योतिषीय दृष्टिकोण से मंगलवार के व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए इस दिन तामसिक भोजन व मांसाहार या मदिरा का सेवन ना करें।

  • मंगलवार के दिन सफेद या काले रंग का वस्त्र धारण ना करें। साथ ही इस दिन उधार लेना और देना अशुभ माना जाता है।

  • मंगलवार के दिन किसी का अपमान भूलकर भी ना करें। साथ ही अपशब्द का प्रयोग भी ना करें। इस दिन किसी से वाद-विवाद करना भी अशुभ माना जाता है। बुढ़वा मंगल के दिन ब्रम्हचर्य का पालन जरूर करें।

हनुमान जी के मंत्र

1. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा ।।

2. आदिदेव नमस्तुभ्यं सप्तसप्ते दिवाकर । त्वं रवे तारय स्वास्मानस्मात्संसार सागरात ।।

3. मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं ।

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ।।

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