Bada Mangal 2024: हनुमान जी की पूजा करते समय करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, आर्थिक तंगी से मिलेगी निजात
बड़े मंगल पर हनुमान जी की पूजा करने से साधक को मृत्यु लोक में स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख संकट काल और क्लेश दूर हो जाते हैं। इसके अलावा साधक विवेकवान और बुद्धिमान होता है। साधक को अतुल बल की प्राप्ति होती है। इससे साधक को अपने शत्रुओं पर विजयश्री प्राप्त होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bada Mangal 2024: ज्येष्ठ माह का हर मंगलवार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन विधि-विधान से भगवान श्रीराम और हनुमान जी की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु व्रत रखा जाता है। बड़े मंगल पर हनुमान जी की पूजा करने से साधक को मृत्यु लोक में स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख, संकट, काल और क्लेश दूर हो जाते हैं। इसके अलावा, साधक विवेकवान और बुद्धिमान होता है। साधक को अतुल बल की प्राप्ति होती है। इससे साधक को अपने शत्रुओं पर विजयश्री प्राप्त होती है। ज्योतिषियों की मानें तो मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से शनि की बाधा दूर होती है। शनि दोष के चलते व्यक्ति को जीवन में नाना प्रकार की परेशानियों से गुजरना पड़ता है। साथ ही आर्थिक स्थिति भी विषम हो जाती है। अगर आप भी आर्थिक तंगी से निजात पाना चाहते हैं, तो बड़े मंगल पर स्नान-ध्यान के बाद विधिपूर्वक हनुमान जी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ करें।
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ऋणमोचन अङ्गारकस्तोत्रम्
रक्तमाल्याम्बरधरः शूलशक्तिगदाधरः ।
चतुर्भुजो मेषगतो वरदश्च धरासुतः ॥
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः ।
स्थिरासनो महाकायो सर्वकामफलप्रदः ॥
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः ।
धरात्मजः कुजो भौमो भूमिदो भूमिनन्दनः ॥
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः ।
सृष्टेः कर्ता च हर्ता च सर्वदेशैश्च पूजितः ॥
एतानि कुजनामानि नित्यं यः प्रयतः पठेत् ।
ऋणं न जायते तस्य श्रियं प्राप्नोत्यसंशयः ॥
अङ्गारक महीपुत्र भगवन् भक्तवत्सल ।
नमोऽस्तु ते ममाशेषं ऋणमाशु विनाशय ॥
रक्तगन्धैश्च पुष्पैश्च धूपदीपैर्गुडोदनैः ।
मङ्गलं पूजयित्वा तु मङ्गलाहनि सर्वदा ॥
एकविंशति नामानि पठित्वा तु तदन्तिके ।
ऋणरेखा प्रकर्तव्या अङ्गारेण तदग्रतः ॥
ताश्च प्रमार्जयेन्नित्यं वामपादेन संस्मरन् ।
एवं कृते न सन्देहः ऋणान्मुक्तः सुखी भवेत् ॥
महतीं श्रियमाप्नोति धनदेन समो भवेत् ।
भूमिं च लभते विद्वान् पुत्रानायुश्च विन्दति ॥
मूलमंत्र
अङ्गारक महीपुत्र भगवन् भक्तवत्सल ।
नमस्तेऽस्तु महाभाग ऋणमाशु विनाशय ॥
अर्घ्यम् । भूमिपुत्र महातेजः स्वेदोद्भव पिनाकिनः ।
ऋणार्थस्त्वां प्रपन्नोऽस्मि गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तु ते ॥
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