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Bada Mangal 2024: बड़े मंगल पर हनुमान जी की पूजा के समय करें ये आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति

सनातन शास्त्रों में निहित है कि ज्येष्ठ माह के पहले मंगल पर हनुमान जी का मिलन अपने आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम से हुआ था। इसी उपलक्ष्य पर बुढ़वा मंगल मनाया जाता है। धार्मिक मत है कि हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और क्लेश भी दूर हो जाते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Tue, 28 May 2024 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 28 May 2024 08:00 AM (IST)
Bada Mangal 2024: बड़े मंगल पर हनुमान जी की पूजा के समय करें ये आरती

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bada Mangal 2024: ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 28 मई यानी आज बड़ा मंगल है। यह पर्व ज्येष्ठ माह के हर मंगलवार को मनाया जाता है। इस दिन राम परिवार संग हनुमान जी की पूजा की जाती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि ज्येष्ठ माह के पहले मंगल पर हनुमान जी का मिलन अपने आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम से हुआ था। इसी उपलक्ष्य पर बुढ़वा मंगल मनाया जाता है। धार्मिक मत है कि हनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख और क्लेश भी दूर हो जाते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से हनुमान जी की पूजा करते हैं। अगर आप भी हनुमान जी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो बड़े मंगल पर हनुमान जी की पूजा करते समय ये आरती जरूर करें।

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आरती

1. श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन,हरण भवभय दारुणम्।

नव कंज लोचन, कंज मुख करकंज पद कंजारुणम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...

कन्दर्प अगणित अमित छवि,नव नील नीरद सुन्दरम्।

पट पीत मानहुं तड़ित रूचि-शुचिनौमि जनक सुतावरम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...

भजु दीनबंधु दिनेशदानव दैत्य वंश निकन्दनम्।

रघुनन्द आनन्द कन्द कौशलचन्द्र दशरथ नन्द्नम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...

सिर मुकुट कुंडल तिलकचारू उदारु अंग विभूषणम्।

आजानुभुज शर चाप-धर,संग्राम जित खरदूषणम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...

इति वदति तुलसीदास,शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।

मम ह्रदय कंज निवास कुरु,कामादि खल दल गंजनम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...

मन जाहि राचेऊ मिलहिसो वर सहज सुन्दर सांवरो।

करुणा निधान सुजानशील सनेह जानत रावरो॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...

एहि भाँति गौरी असीससुन सिय हित हिय हरषित अली।

तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनिमुदित मन मन्दिर चली॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन...

2. ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन।

हरण दुखदुन्द गोविन्द आनन्दघन॥

ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन॥

अचर चर रुप हरि, सर्वगत, सर्वदा

बसत, इति बासना धूप दीजै।

दीप निजबोधगत कोह-मद-मोह-तम

प्रौढ़ अभिमान चित्तवृत्ति छीजै॥

ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन॥

भाव अतिशय विशद प्रवर नैवेद्य शुभ

श्रीरमण परम सन्तोषकारी।

प्रेम-ताम्बूल गत शूल सन्शय सकल,

विपुल भव-बासना-बीजहारी॥

ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन॥

अशुभ-शुभ कर्म घृतपूर्ण दशवर्तिका,

त्याग पावक, सतोगुण प्रकासं।

भक्ति-वैराग्य-विज्ञान दीपावली,

अर्पि नीराजनं जगनिवासं॥

ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन॥

बिमल हृदि-भवन कृत शान्ति-पर्यंक शुभ,

शयन विश्राम श्रीरामराया।

क्षमा-करुणा प्रमुख तत्र परिचारिका,

यत्र हरि तत्र नहिं भेद-माया॥

ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन॥

आरती-निरत सनकादि, श्रुति, शेष, शिव,

देवरिषि, अखिलमुनि तत्त्व-दरसी।

करै सोइ तरै, परिहरै कामादि मल,

वदति इति अमलमति दास तुलसी॥

ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।


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