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Bargad Tree Worship: बरगद के पेड़ में क्यों बांधा जाता है कलावा, जानिए इसका धार्मिक महत्व

Bargad Tree Worship शास्त्रों में बरगद के पेड़ की पूजा करने का विधान है। इसे वट वृक्ष या अभय वृक्ष भी कहा जाता है। महिलाएं वट सावित्री व्रत के दौरान बरगद के पेड़ की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करती हैं। साथ ही उसमें कलावा भी बांधती हैं। आइए जानते हैं बरगद में कलावा बांधने से क्या लाभ मिलते हैं।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Sat, 05 Aug 2023 07:50 PM (IST)
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Bargad Tree Worship बरगद में कलावा बांधने के लाभ।

नई दिल्ली, अध्यात्म। Bargad Tree Worship: सनातन धर्म में कई पेड़-पौधों को पूजनीय माना गया है। हिंदू धर्म में बरगद के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन पेड़-पौधों की पूजा करने से घर का वास्तु दोष दूर होता है। जिससे परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। आइए जानते हैं कि बरगद के पेड़ में कलावा बांधने का क्या महत्व है और इससे क्या लाभ मिलते हैं।

हिंदू धर्म में कलावे का महत्व

कलावे को हिंदू धर्म में रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। साथ ही इसे बहुत ही पवित्र माना गया है इसीलिए पूजा में भी इसका विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है। घर में हर शुभ अवसर या पूजा-पाठ में कलावा यानी रक्षा सूत्र को विशेष रूप से बांधा जाता है।

क्या महत्व रखता है बरगद का पेड़

बरगद के पेड़ में ब्रह्मा जी, श्रीहरि और शिव निवास करते हैं। बरगद के पेड़ की उम्र सबसे ज्यादा होती है, इसलिए इसे 'अक्षयवट' भी कहा जाता है। देव वृक्ष होने के कारण बरगद के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में अखंड सौभाग्य, आरोग्य और सुख-समृद्धि के लिए वट वृक्ष की पूजा की जाती है।

बरगद में कलावा बांधने के लाभ

शास्त्रों में बरगद यानी वट वृक्ष के पेड़ की पूजा करने का विधान बताया गया है। मान्यताओं के अनुसार बरगद के पेड़ की पूजा के बाद उसमें कलावा बांधने से स्त्रियों के सुहाग की रक्षा होती है। कहा जाता है कि बरगद के पेड़ में कलावा बांधने से वैवाहिक जीवन भी खुशहाल बना रहता है। साथ ही इससे पति-पत्नी के संबंधों में मिठास घुलती है। माना जाता है कि बरगद के पेड़ में कलावा बांधने से अकाल मृत्यु जैसे योग भी टल जाते हैं।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'