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Basant Panchami 2024: फरवरी में इस दिन मनाई जाएगी बसंत पंचमी, ऐसे प्राप्त करें मां सरस्वती की कृपा

Sarawati Puja 2024 हिंदू धर्म में देवी सरस्वती को ज्ञान और विद्या की देवी के रूप में जाना जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए मां सरस्वती की पूजा-अर्चना मुख्य रूप से की जाती है। वहीं वसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती को समर्पित माना जाता है। यह त्योहार आमतौर पर फरवरी में वसंत ऋतु में मनाया जाता है इसलिए इसे वसंत पंचमी कहा जाता है।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 31 Jan 2024 10:38 AM (IST)
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Basant Panchami 2024 फरवरी में इस दिन मनाई जाएगी वसंत पंचमी।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Basant Panchami 2024 Date: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि फरवरी माह में बसंत पंचमी का पर्व किस दिन मनाया जाएगा। साथ ही जानते हैं कि देवी सरस्वती की कृपा प्राप्ति के लिए इस दिन क्या करना चाहिए।

बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त (Basant Panchami Puja Muhurat)

माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं, इसका समापन 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, बसंत पंचमी 14 फरवरी, बुधवार के दिन मनाई जाएगी। इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा -

बसंत पंचमी सरस्वती पूजा मुहूर्त - सुबह 07 बजकर 01 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक

सरस्वती पूजा विधि (Maa Saraswati Puja Vidhi)

बसंत पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। इस दिन आप पीले या सफेद रंग के वस्त्र पहन सकते हैं। इसके बाद पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई करें। इसके बाद चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद देवी को माला पहनाएं, अक्षत, पीले रंग की रोली, चंदन आदि चढ़ाएं। पूजा के दौरान मां सरस्वती को पीले रंग का फूल और पीले रंग की मिलाई का भोग लगाएं। अंत में परिवार सहित मां सरस्वती की आरती करें और सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें।

करें सरस्वती वन्दना

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥

हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥

सरस्वती या कुन्देन्दु देवी सरस्वती को समर्पित बहुत प्रसिद्ध स्तुति है, जो सरस्वती स्तोत्रम का एक अंश है। इस सरस्वती स्तुति का पाठ बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा के दौरान जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से साधक को मां सरस्वती की कृपा प्राप्त हो सकती है।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'