Basant Panchami 2024 Puja Vidhi: बसंत पंचमी के दिन ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा, ज्ञान का मिलेगा वरदान
सनातन धर्म में ज्ञान की देवी मां सरस्वती के लिए बसंत पंचमी का दिन बेहद खास माना जाता है। इसे श्री पंचमी और सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल बसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी को मनाया जाएगा। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन विधिपूर्वक मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Mon, 05 Feb 2024 05:47 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Basant Panchami 2024: देशभर में बसंत पंचमी का पर्व बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। सनातन धर्म में ज्ञान की देवी मां सरस्वती के लिए बसंत पंचमी का दिन बेहद खास माना जाता है। इस पर्व को श्री पंचमी और सरस्वती पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल बसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी को मनाया जाएगा। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन विधिपूर्वक मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि और सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अगर आप भी बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा कर रहे हैं, तो इससे पहले आपको बसंत पंचमी की पूजा विधि के बारे में पता होना बेहद आवश्यक है, जिससे पूजा में कोई बाधा न आए। चलिए जानते हैं बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
बसंत पंचमी 2024 का शुभ मुहूर्त
दैनिक पंचांग के मुताबिक, माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का आरंभ 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से होगा और इसके अगले दिन यानी 14 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर तिथि का समापन होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस बार बसंत पंचमी 14 फरवरी को मनाई जाएगी। आप बसंत पंचमी के दिन सुबह 7 बजकर 01 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक के बीच में मां सरस्वती की पूजा कर सकते हैं।यह भी पढ़ें: Basant Panchami 2024: बसंत पंचमी के दिन क्यों पहने जाते हैं पीले वस्त्र? जानें इसका धार्मिक महत्व
बसंत पंचमी पूजा विधि
- बसंत पंचमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे और दिन की शुरुआत मां सरस्वती के दिन ध्यान से करें।
- इसके बाद स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें। क्योंकि मां सरस्वती को पीला रंग बेहद प्रिय है।
- अब चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर मां सरस्वती की प्रतिमा को स्थापित करें।
- अब उनको पीले रंग का वस्त्र अर्पित करें और पीले रंग का पुष्प, रोली, केसर, हल्दी, चंदन और अक्षत चढ़ाएं।
- इसके बाद घी का दीपक जलाएं और आरती करें। मां सरस्वती के मंत्रों का जाप और मां सरस्वती स्तुति का पाठ करें।
- अंत में पीले चावल, फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- इसके पश्चात लोगों में प्रसाद का वितरण करें।