महामृत्युंजय मंत्र: अकाल मृत्यु से मिलती है मुक्ति, जानें इस मंत्र का महत्व
इस मंत्र के जाप से भक्तों को असाध्य रोगों से मुक्ति भी मिलती है। इस मंत्र की उत्पत्ति की एक कथा है जो भगवान महाकाल की कृपा से जुड़ी है।
By kartikey.tiwariEdited By: Updated: Mon, 20 May 2019 04:19 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। महामृत्युंजय मंत्र भगवान महाकाल यानी भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनसे अकाल मृत्यु से मुक्ति का वरदान पाने के लिए है। इस मंत्र के जाप से भक्तों को असाध्य रोगों से मुक्ति भी मिलती है। इस मंत्र की उत्पत्ति की एक कथा है, जो भगवान महाकाल की कृपा से जुड़ी है।
महामृत्युंजय मंत्र:ॐ हौं जूं स: ॐ भूर्भुव: स्व: ओम त्रयम्बकम् यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् भूर्भुव: स्वरोम जूं स:।
ध्यान देने रखने वाली बातजब भी इस मंत्र का उच्चारण करें तो शुद्धता का ध्यान रखें। हमेशा शुद्ध उच्चारण ही करें। इस मंत्र के कई प्रकार हैं, लेकिन कोई भी व्यक्ति उपरोक्त मंत्र का जाप करके अपनी मनोकामना पूर्ति कर सकता है।
महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति की कथापौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ऋषि मृकण्डु और उनकी पत्नी मरुद्मति ने पुत्र की प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको दर्शन दिए और उनकी मनोकामना पूर्ति के लिए दो विकल्प दिए। पहला- अल्पायु बुद्धिमान पुत्र दूसरा-दीर्घायु मंदबुद्धि पुत्र।
इस पर ऋषि मृकण्डु ने अल्पायु बुद्धिमान पुत्र की कामना की। जिसके परिणामस्वरूप मार्कण्डेय नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। उनका जीवन काल 16 वर्ष का था। वे अपने जीवन के सत्य के बारे में जानकर भगवान शिव की पूजा करने लगे। मार्कण्डेय जब 16 वर्ष के हुए तो यमराज उनके प्राण हरने आए। वे वहां से भागकर काशी पहुंच गए। यमराज ने उनका पीछा नहीं छोड़ा तो मार्कण्डेय काशी से कुछ दूरी पर कैथी नामक गांव में एक मंदिर के शिवलिंग से लिपट गए और भगवान शिव का अह्वान करने लगे।मार्कण्डेय की पुकार सुनकर देवों के देव महादेव वहां प्रकट हो गए। भगवान शिव के तीसरे नेत्र से महामृत्युंज मंत्र का उत्पत्ति हुई। भगवान शिव ने मार्कण्डेय को अमरता का वरदान दिया, जिसके बाद यमराज वहां से यमलोक लौट गए।
पुत्र मनोकामना पूर्ति के लिए प्रसिद्ध है मार्कण्डेय महादेव मंदिर कैथी के जिस मंदिर में यह घटना हुई, वह मार्कण्डेय महादेव के नाम से प्रसिद्ध है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जिसे पुत्र की कामना होती है, वह इस मंदिर में भगवान शिव का दुग्धाभिषेक कराता है और उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।— ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्टलोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप