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Shani Amavasya 2022: 14 साल के बाद शनिश्चरी अमावस्या पर बना दुर्लभ योग, जानें भाद्रपद अमावस्या का शुभ मुहूर्त और महत्व

Bhadrapada Amavasya 2022 भाद्रपद की अमावस्या के दिन स्नान-दान का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन शनिवार पड़ने के कारण इसे शनिश्चरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाएगा। जानिए शनि अमावस्या की तिथि शुभ मुहूर्त और महत्व

By Shivani SinghEdited By: Updated: Sat, 27 Aug 2022 06:22 AM (IST)
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Shani Amavasya August 2022: शनि अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व

नई दिल्ली, Shanishchari Amavasya 2022: भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि काफी खास है। क्योंकि इस माह शनिवार के दिन पड़ रही है जिसके कारण इसे शनिश्चरी अमावस्या भी कहते है। शनि अमावस्या के दिन स्नान-दान, श्राद्ध-तर्पण करने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही इस दिन शनिवार पड़ने के कारण शनि दोष, शनि की साढ़े साती और ढैय्या से भी छुटकारा पाया जा सकता है। आज साल की अंतिम शनिश्चरी अमावस्या है। इसके साथ ही आज काफी अद्भुत योग बन रहा है जो करीब 14 साल बाद बन रहा है। जानिए शनिश्चरी अमावस्या का शुभ मुहूर्त और महत्व

भाद्रपद मास में पड़ने वाली अमावस्या काफी खास है। क्योंकि इस दिन शनिवार का दिन पड़ रहा है। ज्योतिषचार्यों के अनुसार ऐसा संयोग काफी लंबे समय बाद बना है जब भादो मास में शनि अमावस्या का संयोग बन रहा है। 

शनि अमावस्या तिथि और शुभ मुहूर्त

भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि आरंभ- 26 अगस्त, शुक्रवार की दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से शुरू

भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि समाप्त- 27 अगस्त, शनिवार की दोपहर 01 बजकर 47 मिनट तक

तिथि- अमावस्या तिथि का सूर्योदय 27 अगस्त को होगा। इसलिए इसी दिन ये तिथि मानी जाएगी।

अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक

शनि अमावस्या पर बन रहा है खास संयोग

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, भादो मास में शनि अमावस्या का होना काफी दुर्लभ माना जाता रहा है। क्योंकि ऐसा संयोग 2008 में बना था। ज्योतिषों के अनुसार, 14 साल पहले 30 अगस्त 2008 को भादो मास में शनि अमावस्या का योग बना था। इसलिए ऐसे दुर्लभ संयोग में भगवान शनि की पूजा करने का विशेष फल मिलेगा।

शनि अमावस्या पर बन रहा शुभ योग

शनि अमावस्या के दिन शिव और सिद्ध योग भी बन रहा है। जहां शिव योग 27 अगस्त की सुबह 2 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर 28 अगस्त सुबह 2 बजकर 6 मिनट तक रहेगा। वहीं, सिद्ध योग 28 अगस्त सुबह 2 बजकर 7 मिनट से शुरू हो रहा है।

कुशा ग्रहणी अमावस्या

भाद्रपद अमावस्या को कुशा गृहिणी अमावस्या के नाम से भी जानते हैं। कुश का अर्थ घास है। इसी कारण इसे कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन को साल भर धार्मिक कार्यों के लिए कुश को इकट्ठा कर लिया जाता है।

भाद्रपद अमावस्या का महत्व

भाद्रपद अमावस्या को काफी शुभ माना जा रहा है। क्योंकि इस दिन शनिवार पड़ रहा है। ऐसे में शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय कर सकते हैं। इसके साथ ही इस दिन पितरों की पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। भाद्रपद अमावस्या को पिठोरी अमावस्या भी कहते हैं। माना जाता है कि इस दिन तर्पण और पिंडदान करना शुभ माना जाता है। इससे पितृ दोष से भी छुटकारा मिल जाता है।

Pic Credit instagram/artisangrah

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