Bhanu Saptami 2024: भानु सप्तमी पर ऐसे करें सूर्य देव की पूजा, करियर और कारोबार में मिलेगी सफलता
कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर भानु सप्तमी मनाई जाती है। पंचांग के अनुसार इस बार भाद्रपद माह में 25 अगस्त को भानु सप्तमी को मनाई जाएगी। इस पर्व को रथ सप्तमी और अचला सप्तमी के नाम से जाना जाता है। भानु सप्तमी पर सूर्य देव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही व्रत किया जाता है। इससे करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bhanu Saptami 2024: धार्मिक मान्यता के अनुसार, भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन में आने वाले सभी संकट दूर होते हैं। माना जाता है कि इस दिन सूर्य कवच का पाठ करने से सुख, यश और लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए पढ़ते हैं सूर्य कवच का पाठ।
भानु सप्तमी शुभ मुहूर्त (Bhanu Saptami Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 25 अगस्त को सुबह 05 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 26 अगस्त को देर रात 03 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि से गणना की जाती है। अत: 25 अगस्त को भानु सप्तमी मनाई जाएगी।यह भी पढ़ें: Bhanu Saptami 2024: भानु सप्तमी पर जरूर करें इन चीजों का दान, मिलेगा यश अपार, चमकेगा करियर-व्यापार
''सूर्य कवच''
॥श्रीसूर्यध्यानम्॥रक्तांबुजासनमशेषगुणैकसिन्धुं
भानुं समस्तजगतामधिपं भजामि।पद्मद्वयाभयवरान् दधतं कराब्जैःमाणिक्यमौलिमरुणाङ्गरुचिं त्रिनेत्रम्॥श्री सूर्यप्रणामःजपाकुसुमसङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।ध्वान्तारिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ॥। याज्ञवल्क्य उवाच ।श्रुणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम् ।शरीरारोग्यदं दिव्यं सर्व सौभाग्यदायकम् ॥॥दैदिप्यमानं मुकुटं स्फ़ुरन्मकरकुण्डलम् ।
ध्यात्वा सहस्रकिरणं स्तोत्रमेतदुदीरयेत्॥॥शिरो मे भास्करः पातु ललाटे मेSमितद्दुतिः ।नेत्रे दिनमणिः पातु श्रवणे वासरेश्वरः ॥३ ॥घ्राणं धर्म धृणिः पातु वदनं वेदवाहनः ।जिह्वां मे मानदः पातु कंठं मे सुरवंदितः ॥॥स्कंधौ प्रभाकरं पातु वक्षः पातु जनप्रियः ।पातु पादौ द्वादशात्मा सर्वागं सकलेश्वरः ॥॥सूर्यरक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्जपत्रके ।
दधाति यः करे तस्य वशगाः सर्वसिद्धयः ॥॥सुस्नातो यो जपेत्सम्यक् योSधीते स्वस्थ मानसः ।स रोगमुक्तो दीर्घायुः सुखं पुष्टिं च विंदति ॥॥॥ इति श्री माद्याज्ञवल्क्यमुनिविरचितं सूर्यकवचस्तोत्रं संपूर्णं ॥