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Bhishma Panchak 2022: कल से शुरू हो रहे हैं भीष्म पंचक, जानिए मनाने का कारण और पूजा विधि

Bhishma Panchak 2022 एकादशी से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक भीष्म पंचक का व्रत रखा जाता है। इन पांच दिनों सात्विक भोजन करना चाहिए। इसके साथ ही भीष्म पितामह का तर्पण करना शुभ माना जाता है। जानिए भीष्म पंचक की पूजा विधि और महत्व।

By Shivani SinghEdited By: Updated: Thu, 03 Nov 2022 09:36 AM (IST)
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Bhishma Panchak 2022: कल से शुरू हो रहे हैं भीष्म पंचक, जानिए मनाने का कारण और पूजा विधि

नई दिल्ली, Bhishma Panchak Vrat 2022: पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक भीष्म पंचक व्रत किया जाता है। इस बार भीष्म पंचक व्रत 4 नवंबर, शुक्रवार 2022 से 8 नवंबर, मंगलवार तक किया जाएगा। पांच दिनों तक चलने के कारण इसे भीष्म पंचक कहा जाता है। मान्यता के अनुसार, इस व्रत को जो नियमों के साथ करता है उसे हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है. इसके साथ ही निसंतान दंपति को संतान सुख मिलता है। इसके अलावा इस व्रत को करने से धन धान्य की बढ़ोत्तरी और स्वास्थ्य अच्छा रहता है। जानिए भीष्म पंचक की पूजा विधि और मनाने का कारण।

ऐसे हुए भीष्म पंचक की शुरुआत

भीष्म पंचक व्रत रखने की परंपरा की शुरुआत महाभारत से मानी जाती है। जब महाभारत के युद्ध के समय शरशैया पर शयन करते हुए सूर्य के उत्तरायण की प्रतिक्षा कर रहे थे। तब भगवान श्री कृष्ण पांचों पांडवों को लेकर उनके पास पहुंचे थे। ऐसे में युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह को उपदेश देने के लिए कहा था। जब भीष्म पितामह ने अगले पांच दिनों तक राज धर्म, वर्ष, मोक्ष धर्म आदि का उपदेश दिया था। उनके उपदेश सुनकर श्री कृष्ण ने पितामह से कहा- पितामह! आपके कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष से पूर्णिमा तक धर्म संबंधी उपदेश दिया। इससे मैं काफी प्रसन्न हुआ था। इन पांच दिनों को याद करते हुए आपके नाम पर भीष्म पंचक व्रत स्थापित करता हूं। जो लोग इस व्रत को रखेंगे वह जीवन भर सुख-समृद्धि के भागीदार होंगे और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होगी।

भीष्म पंचक 2022 पूजा विधि

  • एकादशी के दिन सुबह जल्द स्नान आदि करके साथ सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
  • एक चौकी में लाल या पीले रंग का साफ कपड़ा बिछाकर भगवान कृष्ण के साथ भीष्म पितामह की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर लें।
  • दोनों का मनन करके हुए व्रत का संकल्प लें।
  • अब भगवा कृष्ण और भीष्म पितामह को फूल, माला, अक्षत और पीले रंग का चंदन लगाएं।
  • इसके साथ ही भोग लगाएं।
  • भोग लगाने के बाद अखंड दीप जलाएं जो अगले 5 दिनों तक जलता रहें।
  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन विधिवत पूजा करने के साथ हवन कर लें।

डिसक्लेमर

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।