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Bhog Ke Niyam: पाना चाहते हैं पूजा का पूर्ण फल, तो भोग लगाते समय ध्यान रखें ये बातें

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ को भगवान का आभार प्रकट करने का एक माध्याम माना गया है। इस दौरान देवी-देवताओं को भोग अर्पित करना भी पूजा का एक अभिन्न अंग है। इसके बिना कोई भी पूजा अधूरी समझी जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि भोग लगाते समय किन नियमों का भी ध्यान रखना चाहिए ताकि हमारी पूजा सफल हो सके।

By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Thu, 15 Feb 2024 01:04 PM (IST)
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Bhog Ke Niyam जानिए भोग से जुड़े नियम।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bhog Ke Niyam: सनातन धर्म में माना गया है कि नियमित रूप से पूजा-पाठ करने से घर-परिवार में दिव्य और सकारात्मक वातावरण बना रहता है। साथ ही साधक और उसके परिवार पर ईश्वर की दृष्टि बनी रहती है। पूजा के दौरान भगवान को भोग लगाना भी जरूरी माना जाता है। भोग लगाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। पूजा का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए भगवान को भोग चढ़ाते समय कई तरह के नियमों का ध्यान रखना जरूरी होता है।

कितने समय के लिए लगाएं भोग

अधिकतर लोग इस चीज को लेकर संशय में बने रहते हैं कि भगवान को कितनी देर के लिए भोग लगाना सही रहता है। माना जाता है कि कभी भी पूजा के दौरान लगाए गए भोग को तुरंत नहीं हटना चाहिए और न ही भोग को ज्यादा देर के लिए मंदिर में रखें। ऐसा करने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। पूजा के बाद आप 5 मिनट के लिए भूख को भगवान के पास रखें और इसके बाद इसे हटा लें।

इन बातों का भी रखें ध्यान (Bhog Ke Niyam)

ध्यान रहे कि भोग हमेशा सात्विक और स्वच्छ तरीके से बना हुआ होना चाहिए। वहीं आप देवी-देवताओं को उनका प्रिय भोग भी अर्पित कर सकते हैं। ऐसा करने से आपकी मनोकामना जल्द पूर्ण होती है। भोग लगाते समय पात्र का ध्यान भी अवश्य रखना चाहिए। भोग के लिए हमेशा सोने, चांदी, तांबे, पीतल, मिट्टी या फिर लकड़ी से बने पात्र का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन एल्यूमिनियम, लोहे, स्टील या प्लास्टिक से बने बर्तन में भोग लगाना शुभ नहीं माना जाता।

इस मंत्र का करें जाप (Bhog Mantra)

त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।

गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।

इस मंत्र का अर्थ है कि हम भगवान से यह प्रार्थना कर रहे हैं कि वह हमारे भोग को स्वीकार करें और हम पर अपनी कृपा दृष्टि बनाएं रखें। शास्त्रों में माना गया है कि अपने आराध्य देवता या देवी को भोग लगाते समय इस मंत्र का जाप करने से पूजा का कई गुना फल प्राप्त हो सकता है।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'