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Budh Stotram: भगवान गणेश जी की पूजा में करें इस स्तोत्र का पाठ, मान सम्मान की होगी प्राप्ति

सनातन धर्म में सप्ताह के सभी दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। बुधवार के दिन मां पार्वती के पुत्र भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा करने से साधक को भगवान गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ज्योतिष कुंडली में बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए बुधवार के दिन बुध स्तोत्र का पाठ करने की सलाह देते हैं।

By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Wed, 31 Jan 2024 07:00 AM (IST)
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Budh Stotram: भगवान गणेश जी की पूजा में करें इस स्तोत्र का पाठ, मान सम्मान की होगी प्राप्ति
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Budh Stotram Lyrics in Hindi: सनातन धर्म में सप्ताह के सभी दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। बुधवार के दिन मां पार्वती के पुत्र भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा करने से साधक को भगवान गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और कुंडली में बुध ग्रह के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं। साथ ही घर में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। ज्योतिष कुंडली में बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए बुधवार के दिन बुध स्तोत्र का पाठ करने की सलाह देते हैं। इस स्तोत्र का विधिपूर्वक पाठ करने से इंसान को काम में सफलता प्राप्त होती है और मान सम्मान की प्राप्ति होती है। बुध स्तोत्र इस प्रकार है-

मिलते हैं ये लाभ

बुधवार के दिन बुध स्तोत्र का पाठ करने से इंसान को सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है और भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं। साथ ही इंसान को उसका मनचाहा कार्यक्षेत्र प्राप्त होता है।

बुध स्तोत्र लिरिक्स इन हिंदी

''पीताम्बर: पीतवपु किरीटी, चतुर्भुजो देवदु:खापहर्ता ।

धर्मस्य धृक सोमसुत: सदा मे, सिंहाधिरुढ़ो वरदो बुधश्च ।।

प्रियंगुकनकश्यामं रूपेणाप्रतिमं बुधम ।

सौम्यं सौम्यगुणोपेतं नमामि शशिनन्दनम ।।

सोमसुनुर्बुधश्चैव सौम्य: सौम्यगुणान्वित: ।

सदा शान्त: सदा क्षेमो नमामि शशिनन्दनम ।।

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उत्पातरूपी जगतां चन्द्रपुत्रो महाद्युति: ।

सूर्यप्रियकरोविद्वान पीडां हरतु मे बुधं ।।

शिरीषपुष्पसंकाशं कपिलीशो युवा पुन: ।

सोमपुत्रो बुधश्चैव सदा शान्तिं प्रयच्छतु ।।

श्याम: शिरालश्चकलाविधिज्ञ:, कौतूहली कोमलवाग्विलासी ।

रजोधिको मध्यमरूपधृक स्या-दाताम्रनेत्रो द्विजराजपुत्र:।।

अहो चन्द्रासुत श्रीमन मागधर्मासमुदभव: ।

अत्रिगोत्रश्चतुर्बाहु: खड्गखेटकधारक: ।।

गदाधरो नृसिंहस्थ: स्वर्णनाभसमन्वित: ।

केतकीद्रुमपत्राभ: इन्द्रविष्णुप्रपूजित: ।।

ज्ञेयो बुध: पण्डितश्च रोहिणेयश्च सोमज: ।

कुमारो राजपुत्रश्च शैशवे शशिनन्दन: ।।

गुरुपुत्रश्च तारेयो विबुधो बोधनस्तथा ।

सौम्य: सौम्यगुणोपेतो रत्नदानफलप्रद: ।।

एतानि बुधनामानि प्रात: काले पठेन्नर: ।

बुद्धिर्विवृद्धितां याति बुधपीडा न जायते'' ।।

पूजा के दौरान इन मंत्रों का करें जाप

1.ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

2. ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥

3.महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

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डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।