Chaitra Navratri 2020 Maa Chandraghanta: आज चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन, मां चंद्रघण्टा की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र एवं महत्व
Chaitra Navratri 2020 Maa Chandraghanta आज चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघण्टा की पूजा करें। आइए जानते हैं मां चंद्रघण्टा की पूजा विधि मंत्र आदि।
By Kartikey TiwariEdited By: Updated: Fri, 27 Mar 2020 03:37 PM (IST)
Chaitra Navratri 2020 Maa Chandraghanta: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन माना जाता है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघण्टा की पूजा की जाती है। मां दुर्गा के 9 स्वरूपों में से मां चंद्रघण्टा उनकी तीसरी स्वरूप हैं। मां पार्वती के सुहागन स्वरूप को देवी चंद्रघण्टा के नाम से जाना जाता है। आज के दिन मां चंद्रघण्टा की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर साहस, वीरता और विनम्रता जैसे गुणों का विकास होता है। आज हम आपको बताते हैं कि चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघण्टा की पूजा विधि क्या है, पूजा का मुहूर्त, मंत्र और महत्व क्या है?
मां चंद्रघण्टा पूजा मुहूर्तचैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 26 मार्च दिन गुरुवार की शाम 07 बजकर 53 मिनट से हो रहा है, जो 27 मार्च दिन शुक्रवार की रात 10 बजकर 12 मिनट तक है। ऐसे में मां चंद्रघण्टा की पूजा शुक्रवार की सुबह होगी।
स्तुति मंत्रया देवी सर्वभूतेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥प्रार्थनापिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥मंत्र1. ओम देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥2. आह्लादकरिनी चन्द्रभूषणा हस्ते पद्मधारिणी।
घण्टा शूल हलानी देवी दुष्ट भाव विनाशिनी।।चन्द्रघण्टा बीज मंत्रऐं श्रीं शक्तयै नम:।कौन हैं मां चंद्रघण्टाअसुरों का दमन कर उनके प्रभाव को खत्म करने के लिए मां दुर्गा ने चंद्रघण्टा स्वरूप धारण किया था। असुरों का दमन कर उन्होंने देवताओं को उनके अत्याचार से मुक्ति दिलाई थी। मां चंद्रघण्टा देवी पार्वती की सुहागन अवतार मानी जाती हैं। महादेव से विवाह के पश्चात देवी पार्वती ने अपने ललाट पर आधा चंद्रमा धारण कर लिया, जिसके कारण उनको चंद्रघण्टा कहा जाता है। वह सिंह पर सवार होकर युद्ध मुद्रा में होती हैं। वे अपनी 10 भुजाओं में कमल, कमंडल और अनके अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं।
Maa Chandraghanta Puja Mantra And Aarti: आज मां चंद्रघण्टा के इन मंत्रों का करें जाप, इस आरती से करें प्रसन्नमां चंद्रघण्टा की पूजा का महत्वइनके आशीर्वाद से ऐश्वर्य और समृद्धि के साथ सुखी दाम्पत्य जीवन प्राप्त होता है। इनकी पूजा से विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं। मां चंद्रघंण्टा परिवार की रक्षक हैं। इनका संबंध शुक्र से है। यदि आपकी कुंडली में शुक्र दोष हो तो आप मां चंद्रघण्टा की पूजा करें, इससे सभी दोष दूर हो जाएंगे।
पूजा विधिचैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को सूर्योदय से पूर्व मां चंद्रघण्टा की पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है। आप सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। अब मां चंद्रघण्टा का स्मरण करके उनका ध्यान करें। उनको सिंदूर, अक्षत्, गंध, धूप, पुष्प, श्रृंगार का सामान आदि अर्पित करें। फिर दूध से बने मिष्ठान या पकवान का भोग लगाना चाहिए। पूजा के दौरान ऊपर दिए गए मंत्रों का जाप करें। अब मां चंद्रघण्टा की आरती करें। इसके पश्चात आप दुर्गा चालीसा का पाठ और मां दुर्गा की आरती करें। माता को लगाए गए भोग को प्रसाद स्वरूप लोगों में वितरित कर दें।
गणगौर पूजा 2020/Gangaur Puja 2020चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन पति की लंबी आयु के लिए गणगौर पूजा की जाती है। जो आज के दिन खासतौर पर राजस्थान में किया जाता है। इस दिन सुहागन महिलाएं और कन्याएं भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करती हैं। इस पूजा में भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी मूर्तियां बनाई जाती हैं। भगवान शिव गण और माता पार्वती गौर होती हैं। दोनों के नाम से मिलकर गणगौर बना है।