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Chaitra Navratri 2020 Maa Kalratri Puja: आज चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन, मां कालरात्रि की पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त एवं महत्व जानें

Chaitra Navratri 2020 Maa Kalratri Puja Vidhi आज चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा करें। शुभ फल प्राप्त होगा।

By Kartikey TiwariEdited By: Updated: Tue, 31 Mar 2020 10:02 AM (IST)
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Chaitra Navratri 2020 Maa Kalratri Puja: आज चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन, मां कालरात्रि की पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त एवं महत्व जानें

Chaitra Navratri 2020 Maa Kalratri Puja Vidhi: चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है। आज चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है यानी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि। आज के दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस कारण से मां कालरात्रि को शुभंकरी के नाम से भी पुकारा जाता है। मां कालरात्रि की पूजा करने से आकस्मिक संकटों से रक्षा होती है। आज के दिन मां कालरात्रि को रातरानी का पुष्प अर्पित करने से वह जल्द प्रसन्न होती हैं। आइए जानते हैं नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा विधि, मंत्र, पूजा मुहूर्त और महत्व क्या है?

मां कात्यायनी पूजा मुहूर्त

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि यानी चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन 31 मार्च दिन मंगलवार को प्रात:काल 03 बजकर 14 मिनट से प्रारंभ हो गया है, जो 01 अप्रैल दिन बुधवार को प्रात:काल 03 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। ऐसे में आज आपको सुबह तक मां कालरात्रि की पूजा कर लेनी चाहिए।

प्रार्थना

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।

वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मंत्र

1. ओम देवी कालरात्र्यै नमः।

2. ज्वाला कराल अति उग्रम शेषा सुर सूदनम।

त्रिशूलम पातु नो भीते भद्रकाली नमोस्तुते।।

मां कालरात्रि बीज मंत्र

क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।

कौन हैं मां कालरात्रि

मां कालरात्रि देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों में से एक हैं। मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण का है, काले रंग के कारण उनको कालरात्रि कहा गया है। गर्दभ पर सवार रहने वाली मां कालरात्रि के केश खुले रहते हैं। चार भुजाओं वाली मां कालरात्रि दोनों बाएं हाथों में क्रमश:  कटार और लोहे का कांटा धारण करती हैं। वहीं दो बाएं हाथ क्रमश: अभय मुद्रा और वरद मुद्रा में होते हैं। गले में एक सफेद माला धारण करती हैं। मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए अपने तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया था। 

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मां कालरात्रि की पूजा का महत्व

मां कालरात्रि की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। मां को प्रसन्न कर आप अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं। 

पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर मां कालरात्रि का स्मरण करें। फिर माता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवेद्य श्रद्धापूर्वक चढ़ाएं। मां कालरात्रि का प्रिय पुष्प रातरानी है, यह फूल उनको जरूर अर्पित करें। इसके बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें तथा अंत में मां कालरात्रि की आरती करें। ऐसा करने से आप पर आने वाले संकट दूर होंगे। ध्यान रखें कि आरती और पूजा के समय आपका सिर खुला न रहे, उसे किसी साफ कपड़े से ढंक लें।