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Chaitra Navratri 2023 9 Day: नवरात्रि के नौवें दिन ऐसे करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, जानें-विधि और महत्व

Chaitra Navratri 2023 9 Day मार्कण्डेय पुराण में मां को अष्ट सिद्धि भी कहा गया है। इसका अर्थ यह है कि मां सिद्धिदात्री अणिमा महिमा प्राकाम्य गरिमा लघिमा प्राप्ति ईशित्व और वशित्व अष्ट सिद्धि का संपूर्ण स्वरूपा हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 30 Mar 2023 07:11 AM (IST)
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Chaitra Navratri 2023 9 Day: नवरात्रि के नौवें दिन ऐसे करें माता सिद्धिदात्री की पूजा, जानें-विधि, मंत्र और महत्व
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chaitra Navratri 2023 9 Day: चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की भक्ति-उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके लिए साधक श्रद्धा और भक्ति भाव से मां सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। साथ ही माता के निमित्त व्रत उपवास भी करते हैं। इस दिन पूजा संपन्न होने के पश्चात कन्या पूजन का भी विधान है। आइए, मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि और महत्व जानते हैं-

मां का स्वरूप

मां सिद्धिदात्री चार भुजा धारी हैं। एक हाथ में कमल पुष्प, तो दूजे में गदा धारण की हैं। वहीं, तीसरे में चक्र, तो चौथे में शंख धारण की हैं। सिंह उनकी सवारी है। मां सिद्धिदात्री समस्त संसार का कल्याण करती हैं। इसके लिए उन्हें जगत जननी भी कहते हैं।

महत्व

वेदों, पुराणों एवं शास्त्रों में मां की महिमा का वर्णन निहित है। मार्कण्डेय पुराण में मां की महिमा का गुणगान विशेषकर है। मार्कण्डेय पुराण में मां को अष्ट सिद्धि भी कहा गया है। इसका अर्थ यह है कि मां अणिमा, महिमा, प्राकाम्य गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, ईशित्व और वशित्व अष्ट सिद्धि का संपूर्ण स्वरूपा हैं।

पूजा विधि

इस दिन सुबह ब्रह्म बेला में उठकर सबसे पहले आदिशक्ति और जगत जननी मां दुर्गा को प्रणाम करें। इसके पश्चात, घर की साफ-सफाई कर नित्य कर्मों से निवृत हो जाएं। अब गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान करें और आमचन कर नवीन वस्त्र धारण करें। इसके तत्पश्चात, मां सिद्धिदात्री की स्तुति निम्न मंत्र से करें-

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

अब मां सिद्धिदात्री की पूजा फल, फूल, धूप, दीप, कुमकुम, तिल, जौ, चावल आदि से करें। मां को प्रसाद में हलवा-पूरी भेंट करें। अंत में आरती अर्चना कर जीवन में तरक्की, उन्नति, सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें। दिनभर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। अगले दिन स्नान ध्यान कर सामान्य दिनों की तरह पूजा करें। इसके पश्चात, ब्राह्मणों को दान देकर व्रत खोलें।

डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '