Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन बन रहा है दुर्लभ शुभ योग, जानें पूजा समय और घटस्थापना समय
Chaitra Navratri 2023 प्रत्येक वर्ष दो नवरात्रि पर्व मनाएं जाते हैं। एक चैत्र मास में और दूसरा शारदीय मास में। अब जब चैत्र मास शुरू हो चुका है तो साधकों को चैत्र नवरात्रि से जुड़ी कुछ जरूरी जानकारी जान लेनी चाहिए।
By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Mon, 13 Mar 2023 03:19 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chaitra Navratri 2023: हिन्दू धर्म में चैत्र नवरात्रि पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। प्र्तेक वर्ष दो नवरात्रि पर्व मनाएं जाते हैं एक चैत्र मास में और दूसरा शारदीय मास में। हिन्दू पंचांग के अनुसर, 22 मार्च 2023 से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ (Chaitra Navratri 2023 Date) हो रहा है, जिसका समापन 30 मार्च 2023 को होगा। बता दें कि इस वर्ष चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन पर अत्यंत शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है, जिसमें मां दुर्गा अपने भक्तों के घर पधारेंगी। बता दें कि हर साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि आरंभ हो जाती है। नवरात्रि के इन 9 दिनों में शुरू में मां दुर्गा के 9 प्रमुख स्वरूपों की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्त, घटस्थापना समय और शुभ संयोग।
चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्त (Chaitra Navratri 2023 Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग में बताया गया है कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का शुभारंभ 21 मार्च 2023 सुबह 10:02 पर होगा और इसका समापन 22 मार्च 2023 रात्रि 8:20 पर हो जाएगा। ऐसे में घटस्थापना 22 मार्च 2023 को किया जाएगा। इस विशेष दिन पर घटस्थापना मुहूर्त सुबह 6:29 से सुबह 7:39 तक है। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में घटस्थापना करने से सभी विघ्न दूर हो जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
चैत्र नवरात्रि शुभ संयोग (Chaitra Navratri 2023 Shubh Yog)
पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन अत्यंत दुर्लभ संयोग बन रहा है, जिसे पूजा-पाठ के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन शुक्ल योग और ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। ब्रह्म योग 22 मार्च को सुबह 9 बजकर 18 मिनट से 23 मार्च सुबह 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगा और शुक्ल योग 21 मार्च को रात्रि 12 बजकर 42 मिनट से अगले दिन सुबह 9 बजकर18 मिनट तक रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन शुभ योग में पूजा-पाठ करने से साधक को इच्छापूर्ति का आशीर्वाद मिलता है और सभी दुख दूर हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार घटस्थापना के लिए साधक का मुख पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए और कलश की स्थापना ईशान कोण में ही करनी चाहिए।डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।