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Chaitra Navratri 2024 Day 2: इस शुभ योग में करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा एवं उपासना, हर मनोकामना होगी पूरी

Chaitra Navratri 2024 इस दिन तप एवं आचरण की देवी मां ब्रह्मचारिणी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। साधक मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु व्रत-उपवास भी रखते हैं। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में कमंडल है तो दूजे हाथ में तप हेतु माला है। ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन शिववास का विशेष योग बन रहा है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 09 Apr 2024 07:57 PM (IST)
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Chaitra Navratri 2024 Day 2: इस शुभ योग में करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा एवं उपासना
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chaitra Navratri 2024 Day 2: चैत्र नवरात्र का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। इस दिन तप एवं आचरण की देवी मां ब्रह्मचारिणी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। साधक मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु व्रत-उपवास भी रखते हैं। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में कमंडल है, तो दूजे हाथ में तप हेतु माला है। ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन शिववास का विशेष योग बन रहा है। इस योग में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से साधक को अमोघ एवं अनंत फल की प्राप्ति होती है। आइए, योग के बारे में जानते हैं-

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शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्र की द्वितीया तिथि 10 अप्रैल को शाम 05 बजकर 32 मिनट तक है। इस दौरान मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-उपासना कर सकते हैं। नवरात्र के दूसरे दिन प्रीति योग का भी संयोग बन रहा है। इसके अलावा, बालव और कौलव करण के भी योग बन रहे हैं।

शिववास योग

ज्योतिषियों की मानें तो चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन देवों के देव महादेव, जगत जननी मां गौरी के साथ रहेंगे। इस समय में पूजा-उपासना करना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन शिववास यानी भगवान शिव संध्याकाल 05 बजकर 32 मिनट तक मां गौरी के साथ रहेंगे। चैत्र नवरात्र की द्वितीया तिथि भी शाम 05 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। शिववास के समय रुद्राभिषेक करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

पूजा विधि (Maa Brahmacharini Puja Vidhi)

चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन ब्रह्म बेला में उठें। इस समय मां गौरी को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसी समय आचमन कर व्रत संकल्प लें और नवीन वस्त्र धारण करें। अब पूजा गृह में गंगाजल छिड़ककर शुद्ध कर लें। एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर मां की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। अब पंचोपचार कर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें। पूजा के समय चालीसा, कवच और स्तोत्र का पाठ करें। अंत में आरती कर मां से सुख, समृद्धि एवं सौभाग्य प्राप्ति की कामना करें।

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डिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'