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Chandra Darshan 2023: भाद्रपद अमावस्या के बाद इस दिन करें चंद्र दर्शन, जानिए महत्व और पूजा विधि

Bhadrapada Amavasya 2023 सनातन धर्म में अमावस्या का विशेष है। पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की पंद्रहवीं तिथि अमावस्या कहलाती है। 14 सितंबर गुरुवार 2023 को भाद्रपद माह की पड़ अमावस्या पड़ रही है। सनातन धर्म में जितना महत्व अमावस्या का है ठीक उतना ही महत्व अमावस्या के बाद चंद्र दर्शन का भी है। आइए जानते हैं इसका धार्मिक महत्व।

By Suman SainiEdited By: Suman SainiUpdated: Thu, 14 Sep 2023 09:17 AM (IST)
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Chandra Darshan 2023 भाद्रपद अमावस्या के बाद इस दिन करें चंद्र दर्शन।

नई दिल्ली, अध्यात्म। Chandra Darshan 2023 Date: हिन्दू धर्म में सभी देवी-देवताओं की पूजा के समान ही चंद्र देव की पूजा का भी विशेष महत्व है। आज यानी 14 सितंबर, गुरुवार के दिन भाद्रपद की अमावस्या का व्रत रखा जाएगा। ऐसे में भाद्रपद शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को चंद्र दर्शन किए जाएंगे। आइए जानते हैं कि भाद्रपद अमावस्या के बाद चंद्र दर्शन कब किए जा सकेंगे।

चंद्र दर्शन का महत्व (Chandra Darshan Significance)

धर्मिक ग्रंथों के अनुसार, चंद्र दर्शन ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। चंद्र दर्शन के समय चंद्र देव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती हैं। मान्यता के अनुसार अमावस्या के ठीक बाद चंद्रमा को देखना अत्यंत शुभ माना गयाा है। कई जातक इस दिन उपवास रखते हैं और रात को चन्द्र दर्शन के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में कुंडली में चंद्र को मन का कारक माना गया है।

चंद्र दर्शन का शुभ समय (Chandra Darshan Shubh Muhurat)

14 सितंबर, गुरुवार के दिन भाद्रपद की अमावस्या का व्रत रखा जाएगा। ऐसे में भाद्रपद शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 16 सितंबर, शनिवार के दिन को चंद्र दर्शन किए जाएंगे। पंचांग के अनुसार, इस दिन शाम 06 बजकर 40 मिनट पर चंद्रोदय होगा और शाम 07 बजकर 29 मिनट पर चंद्रास्त होगा। ऐसे में इस दौरान चंद्र दर्शन किए जा सकेंगे।

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चंद्र दर्शन की पूजा विधि (Chandra Darshan Puja Vidhi)

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन चंद्र दर्शन से पहले स्नान करें। इस दिन सफेद वस्त्र धारण करें। हाथ में किसी फल को लेकर चंद्र दर्शन करें। मंत्रों के साथ शाम को विधिवत चांद की पूजा करें। चंद्र देव की पूजा के दौरान ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि, तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात मंत्र का जाप करें। इसके बाद चंद्र देवता को रोली, फल और पुष्प आदि अर्पित करें। उन्हें चावल से बनी खीर का भोग लगाएं। चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना उपवास खोलें।

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी