Brihaspati Dev: गुरुवार को पूजा के समय करें बृहस्पति देव के नामों का मंत्र जप, बनेंगे सरकारी नौकरी के योग
कुंडली में गुरु मजबूत होने से जातक को करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है। साथ ही समय के साथ पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती रहती है। ज्योतिषियों की मानें तो करियर भाव भाग्य भाव आय और धन भाव में गुरु के रहने पर जातक को जीवन पर्यंत तक धन का अभाव नहीं होता है। इसके लिए ज्योतिष कुंडली में गुरु मजबूत करने की सलाह देते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 15 May 2024 09:00 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Brihaspati Dev: ज्योतिष शास्त्र में गुरु को धन का कारक माना जाता है। कुंडली में गुरु मजबूत होने से जातक को करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है। साथ ही समय के साथ पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती रहती है। ज्योतिषियों की मानें तो करियर भाव, भाग्य भाव, आय और धन भाव में गुरु के रहने पर जातक को जीवन पर्यंत तक धन का अभाव नहीं होता है। इस प्रकार के योग से सरकारी नौकरी के योग भी बनते हैं। कुंडली में गुरु को मजबूत करने के लिए किसी विशेष प्रयोजन की आवश्यकता नहीं होती है। महज भगवान विष्णु एवं बृहस्पति देव की पूजा करने से कुंडली में गुरु मजबूत हो जाता है। अतः गुरुवार के दिन विधि-विधान से बृहस्पति देव की पूजा करें। अगर आप भी करियर को नया आयाम देना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन विधिपूर्वक भगवान विष्णु एवं देवगुरु बृहस्पति की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय देवगुरु बृहस्पति के नामों का मंत्र जप करें।
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बृहस्पति देव के 108 नाम
- ॐ गुरवे नमः
- ॐ गुणाकराय नमः
- ॐ गोप्त्रे नमः
- ॐ गोचराय नमः
- ॐ गोपतिप्रियाय नमः
- ॐ गुणिने नमः
- ॐ गुणवंतांश्रेष्ठाय नमः
- ॐ गुरूनां गुरवे नमः
- ॐ अव्ययाय नमः
- ॐ जेत्रे नमः
- ॐ जयंताय नमः
- ॐ जयदाय नमः
- ॐ जीवाय नमः
- ॐ अनंताय नमः
- ॐ जयावहाय नमः
- ॐ अंगीरसाय नमः
- ॐ अध्वरासक्ताय नमः
- ॐ विविक्ताय नमः
- ॐ अध्वरकृते नमः
- ॐ पराय नमः
- ॐ वाचस्पतये नमः
- ॐ वशिने नमः
- ॐ वश्याय नमः
- ॐ वरिष्ठाय नमः
- ॐ वाग्विचक्षणाय नमः
- ॐ चित्तशुद्धिकराय नमः
- ॐ श्रीमते नमः
- ॐ चैत्राय नमः
- ॐ चित्रशिखंडिजाय नमः
- ॐ बृहद्रथाय नमः
- ॐ बृहद्भानवे नमः
- ॐ बृहस्पतये नमः
- ॐ अभीष्टदाय नमः
- ॐ सुराचार्याय नमः
- ॐ सुराराध्याय नमः
- ॐ सुरकार्यहितंकराय नमः
- ॐ गीर्वाणपोषकाय नमः
- ॐ धन्याय नमः
- ॐ गीष्पतये नमः
- ॐ गिरीशाय नमः
- ॐ अनघाय नमः
- ॐ धीवराय नमः
- ॐ धीषणाय नमः
- ॐ दिव्यभूषणाय नमः
- ॐ धनुर्धराय नमः
- ॐ दैत्रहंत्रे नमः
- ॐ दयापराय नमः
- ॐ दयाकराय नमः
- ॐ दारिद्र्यनाशनाय नमः
- ॐ धन्याय नमः
- ॐ दक्षिणायन संभवाय नमः
- ॐ धनुर्मीनाधिपाय नमः
- ॐ देवाय नमः
- ॐ धनुर्बाणधराय नमः
- ॐ हरये नमः
- ॐ सर्वागमज्ञाय नमः
- ॐ सर्वज्ञाय नमः
- ॐ सर्ववेदांतविद्वराय नमः
- ॐ ब्रह्मपुत्राय नमः
- ॐ ब्राह्मणेशाय नमः
- ॐ ब्रह्मविद्याविशारदाय नमः
- ॐ समानाधिकनिर्मुक्ताय नमः
- ॐ सर्वलोकवशंवदाय नमः
- ॐ ससुरासुरगंधर्ववंदिताय नमः
- ॐ सत्यभाषणाय नमः
- ॐ सुरॆंद्रवंद्याय नमः
- ॐ देवाचार्याय नमः
- ॐ अनंतसामर्थ्याय नमः
- ॐ वेदसिद्धांतपारंगाय नमः
- ॐ सदानंदाय नमः
- ॐ पीडाहराय नमः
- ॐ वाचस्पतये नमः
- ॐ पीतवाससे नमः
- ॐ अद्वितीयरूपाय नमः
- ॐ लंबकूर्चाय नमः
- ॐ प्रकृष्टनेत्राय नमः
- ॐ विप्राणांपतये नमः
- ॐ भार्गवशिष्याय नमः
- ॐ विपन्नहितकराय नमः
- ॐ बृहस्पतये नमः
- ॐ सुराचार्याय नमः
- ॐ दयावते नमः
- ॐ शुभलक्षणाय नमः
- ॐ लोकत्रयगुरवे नमः
- ॐ सर्वतोविभवे नमः
- ॐ सर्वेशाय नमः
- ॐ सर्वदाहृष्टाय नमः
- ॐ सर्वगाय नमः
- ॐ सर्वपूजिताय नमः
- ॐ अक्रोधनाय नमः
- ॐ मुनिश्रेष्ठाय नमः
- ॐ नीतिकर्त्रे नमः
- ॐ जगत्पित्रे नमः
- ॐ सुरसैन्याय नमः
- ॐ विपन्नत्राणहेतवे नमः
- ॐ विश्वयोनये नमः
- ॐ अनयोनिजाय नमः
- ॐ भूर्भुवाय नमः
- ॐ धनदात्रे नमः
- ॐ भर्त्रे नमः
- ॐ जीवाय नमः
- ॐ महाबलाय नमः
- ॐ काश्यपप्रियाय नमः
- ॐ अभीष्टफलदाय नमः
- ॐ विश्वात्मने नमः
- ॐ विश्वकर्त्रे नमः
- ॐ श्रीमते नमः
- ॐ शुभग्रहाय नमः
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