Chandra Dev Mantra: रोजाना पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, मानसिक तनाव से मिलेगी निजात
कुंडली में चंद्रमा मजबूत होने से जातक हमेशा प्रसन्नचित्त रहता है। साथ ही व्यक्ति को सभी शुभ कार्यों में सफलता मिलती है। इसके अलावा माता जी की सेहत भी अच्छी रहती है। वहीं कुंडली में चंद्र ग्रह के कमजोर होने पर मानसिक तनाव की समस्या होती है। कई अवसर पर जातक फैसले लेने में भी असमर्थ रहता है। साथ ही माता जी अस्वस्थ रहती हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 26 May 2024 05:31 PM (IST)
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Chandra Dev Mantra: ज्योतिष शास्त्र में चंद्र देव को मन का कारक माना जाता है। कुंडली में चंद्रमा मजबूत होने से जातक हमेशा प्रसन्नचित्त रहता है। साथ ही व्यक्ति को सभी शुभ कार्यों में सफलता मिलती है। इसके अलावा, माता जी की सेहत भी अच्छी रहती है। वहीं, कुंडली में चंद्रमा के कमजोर होने पर मानसिक तनाव की समस्या होती है। कई अवसर पर जातक फैसले लेने में भी असमर्थ रहता है। साथ ही माता जी अस्वस्थ रहती हैं। कई जातकों के माता जी के साथ रिश्ते बिगड़ जाते हैं। अतः ज्योतिष कुंडली में चंद्रमा मजबूत करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी मानसिक तनाव से निजात पाना चाहते हैं, तो रोजाना पूजा के समय कच्चे दूध से भगवान शिव का अभिषेक करें। साथ ही इन मंत्रों का जप करें। इन उपायों को करने से कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है। इससे मानसिक तनाव की समस्या दूर होती है।
तनाव दूर करने हेतु मंत्र
1. ऊँ इमं देवा असपत्नं ग्वं सुवध्यं ।महते क्षत्राय महते ज्यैश्ठाय महते जानराज्यायेन्दस्येन्द्रियायइमममुध्य पुत्रममुध्यै पुत्रमस्यै विश वोsमी राज: सोमोsस्माकं ब्राह्माणाना ग्वं राजा।2. ऊँ ऐं क्लीं सोमाय नम:।ऊँ श्रां श्रीं श्रौं चन्द्रमसे नम:।ऊँ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:।3. ऊँ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसंभवम ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुटभूषणम ।।4. ऊँ अमृतंग अन्गाये विधमहे कलारुपाय धीमहि, तन्नो सोम प्रचोदयात ।।5. ऊँ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रतिजागृहि त्वमिष्टापूर्ते स सृजेथामयं च ।अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन्विश्वे देवा यजमानश्च सीदत ।।6. प्रियंगुकलिकाश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम ।सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम ।।7. ऊँ चन्द्रपुत्राय विदमहे रोहिणी प्रियाय धीमहि तन्नोबुध: प्रचोदयात ।
8. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||ऊँ अघोरेभ्यो अथघोरेभ्यो, घोर घोर तरेभ्यः।सर्वेभ्यो सर्व शर्वेभ्यो, नमस्ते अस्तु रूद्ररूपेभ्यः’।।9. मामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं’।।10. ऊँ क्लीं क्लीं क्लीं वृषभारूढ़ाय वामांगे गौरी कृताय क्लीं क्लीं क्लीं ऊँ नमः शिवाय।।
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