Vivah Mantra: शीघ्र विवाह के लिए गुप्त नवरात्र के छठे दिन पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप
ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में गुरु और शुक्र कमजोर होने पर शादी में बाधा आती है। साथ ही कुंडली में अन्य ग्रहों का भी विचार किया जाता है। कुंडली में कोई दोष लगने पर जातक को शादी में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष कुंडली में गुरु और शुक्र मजबूत करने के लिए जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा करने की सलाह देते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vivah Mantra: गुप्त नवरात्र की षष्ठी तिथि मां कात्यायनी को समर्पित है। इस दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। साथ ही विवाह समेत शुभ कार्यों में सिद्धि पाने के लिए व्रत रखा जाता है। इस दिन से लगातार चालीस दिनों तक मां कात्यायनी की पूजा करने से अविवाहित जातकों की शीघ्र शादी के योग बनते हैं। अतः ज्योतिष अविवाहित जातकों को शीघ्र शादी के लिए नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की विशेष पूजा करने की सलाह देते हैं। अगर आपकी शादी में भी बाधा आ रही है, तो गुप्त नवरात्र के छठे दिन स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से मां कात्यायनी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय अविवाहित लड़के और लड़कियां इन मंत्रों का जप करें।
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2. ॐ सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा”
3. क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा”
4. ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रिय भामिनि ।
विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रलाभं च देहि मे ॥
6. हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया।
मां कुरु कल्याणि कान्तकातां सुदुर्लभाम्॥
7. ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्द गोपसुतं देवि पति में कुरुते नम:।।
8. ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रिय भामिनि।
विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रं च देहि मे ।।
9. ॐ शं शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंस नाय पुरुषार्थ
चतुस्टय लाभाय च पतिं मे देहि कुरु-कुरु स्वाहा ।।
10. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
लड़के इन मंत्रों का जप करें
1. ॐ शं शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंस नाय पुरुषार्थ चतुस्टय लाभाय च पतिं मे देहि कुरु-कुरु स्वाहा ।।
2. पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणिम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्।
3. ऊँ कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्।
4. ऊँ नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि यस्य यस्य मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहा।
5. ॐ कामदेवाय विद्महेपुष्पबाणाय धिमहितन्नो मन्मथ प्रचोदयात् |
6. ऊँ नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि यस्य यस्य मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहा।
7. ॐ नमः काम-देवाय। सहकल सहद्रश सहमसहलिए
वन्हे धुनन जनममदर्शनं उत्कण्ठितं कुरु कुरु
दक्ष दक्षु-धर कुसुम-वाणेन हन हन स्वाहा।
8. क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा
9. ॐ सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा
10. ऊँ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:
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