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Sawan शुक्रवार पर पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, धन से भर जाएगी खाली तिजोरी

धार्मिक मत है कि धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जगत के पालनहार भगवान विष्णु की भी कृपा बरसती है। इस अवसर पर लक्ष्मी नारायण मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन और पूजन के लिए आते हैं। इस दिन सुखों के कारक शुक्र देव की भी उपासना की जाती है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 25 Jul 2024 04:47 PM (IST)
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Laxmi Mantra: धन की देवी मां लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न करें?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शुक्रवार का दिन धन की देवी मां लक्ष्मी को बेहद प्रिय है। इस दिन विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही धन लक्ष्मी वैभव व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक (व्यक्ति) को धन संबंधी परेशानी से मुक्ति मिलती है। साथ ही सुख, सौभाग्य, यश एवं कीर्ति में वृद्धि होती है। ज्योतिष भी आर्थिक तंगी से निजात पाने के लिए मां लक्ष्मी की पूजा करने की सलाह देते हैं। अत: साधक श्रद्धा भाव से शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। अगर आप भी मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर उनकी कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो सावन शुक्रवार पर विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय धन प्राप्ति के लिए इन मंत्रों का जप करें।

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मां लक्ष्मी मंत्र

1. ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥

2. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

3. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

4. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।

5. ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा ॥

6. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।

7. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।

मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

8. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये

धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

9. ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥

10. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये॥

धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।