Yogini Ekadashi 2024: योगिनी एकादशी पर पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, आर्थिक तंगी से मिलेगा छुटकारा
धार्मिक मत है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली आती है। इसके अलावा साधक को आरोग्य जीवन का वरदान भी प्राप्त होता है। इसके लिए साधक एकादशी तिथि पर श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Yogini Ekadashi 2024: जगत के पालनहार भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है। मां तुलसी की पूजा करने से भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अत: एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु संग तुलसी माता की भी पूजा की जाती है। हालांकि, एकादशी तिथि पर भूलकर भी तुलसी दल न तोड़ें। इसके लिए एक दिन पूर्व ही तुलसी दल की व्यवस्था कर लें। एकादशी नियमों का पालन न करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। अगर आप भी आर्थिक तंगी से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो योगिनी एकादशी तिथि पर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें। इन मंत्रों के जप से जीवन में व्याप्त समस्त प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं।
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तुलसी मंत्र
1. ऊँ श्री त्रिपुराय विद्महे तुलसी पत्राय धीमहि तन्नो: तुलसी प्रचोदयात।।
2. ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे,
विष्णुप्रियायै च धीमहि,
तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।
3. मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी ।
नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते ।।
4. महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी ।
आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते ।
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः !
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
5. तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया ।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया ।।
तुलसी नामाष्टक
वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ||
एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत ||
तुलसी शतनाम स्तोत्र
तुलसी पावनी पूज्या वृन्दावननिवासिनी !
ज्ञानदात्री ज्ञानमयी निर्मला सर्वपूजिता ॥
सती पतिव्रता वृन्दा क्षीराब्धिमथनोद्भवा !
कृष्णवर्णा रोगहन्त्री त्रिवर्णा सर्वकामदा ॥
लक्ष्मीसखी नित्यशुद्धा सुदती भूमिपावनी !
हरिध्यानैकनिरता हरिपादकृतालया ॥
पवित्ररूपिणी धन्या सुगन्धिन्यमृतोद्भवा !
सुरूपारोग्यदा तुष्टा शक्तित्रितयरूपिणी ॥
देवी देवर्षिसंस्तुत्या कान्ता विष्णुमनःप्रिया !
भूतवेतालभीतिघ्नी महापातकनाशिनी ॥
मनोरथप्रदा मेधा कान्तिर्विजयदायिनी !
शंखचक्रगदापद्मधारिणी कामरूपिणी ॥
अपवर्गप्रदा श्यामा कृशमध्या सुकेशिनी !
वैकुण्ठवासिनी नन्दा बिंबोष्ठी कोकिलस्वना ॥
कपिला निम्नगाजन्मभूमी आयुष्यदायिनी !
वनरूपा दुःखनाशी अविकारा चतुर्भुजा ॥
गरुत्मद्वाहना शान्ता दान्ता विघ्ननिवारिणी !
विष्णुमूलिका पुष्टा त्रिवर्गफलदायिनी ॥
महाशक्तिर्महामाया लक्ष्मीवाणीसुपूजिता !
सुमंगल्यर्चनप्रीता सौमङ्गल्यविवर्धिनी ॥
चातुर्मासोत्सवाराध्या विष्णुसान्निध्यदायिनी !
उत्तानद्वादशीपूज्या सर्वदेवप्रपूजिता ॥
गोपीरतिप्रदा नित्या निर्गुणा पार्वतीप्रिया !
अपमृत्युहरा राधाप्रिया मृगविलोचना ॥
अम्लाना हंसगमना कमलासनवन्दिता !
भूलोकवासिनी शुद्धा रमकृष्णादिपूजिता ॥
सीतापूज्या राममनःप्रिया नन्दनसंस्थिता !
सर्वतीर्थमयी मुक्ता लोकसृष्टिविधायिनी ॥
प्रातर्दृश्या ग्लानिहन्त्री वैष्णवी सर्वसिद्धिदा !
नारायणी सन्ततिदा मूलमृद्धारिपावनी ॥
अशोकवनिकासंस्था सीताध्याता निराश्रया !
गोमतीसरयूतीररोपिता कुटिलालका ॥
अपात्रभक्ष्यपापघ्नी दानतोयविशुद्धिदा !
श्रुतिधारणसुप्रीता शुभा सर्वेष्टदायिनी ॥
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