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Vishnu Mantra: भगवान विष्णु की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, सभी संकटों से मिलेगी निजात

गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को अति प्रिय है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा श्रद्धा भाव से की जाती है। साथ ही गुरुवार का व्रत रखा जाता है। व्रती केले के पौधे को साक्षी (लक्ष्मी नारायण) मानकर भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा करती हैं। इस समय पके केले चना दाल और गुड़ का भोग भगवान विष्णु को लगाया जाता है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 27 Jun 2024 08:00 PM (IST)
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Vishnu Mantra: गुरु को मजबूत करने के उपाय

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vishnu Mantra: सनातन धर्म में गुरुवार के दिन जगत के नाथ भगवान विष्णु एवं देवगुरु बृहस्पति देव की पूजा की जाती है। साथ ही गुरुवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है। गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से करियर को भी नया आयाम मिलता है। इसके अलावा, धन संबंधी परेशानी भी दूर हो जाती है। धार्मिक मत है कि भगवान विष्णु के भक्तों या उपासकों को सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। इसके लिए साधक गुरुवार के दिन श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। अगर आप भी जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से निजात पाना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

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पूजा मंत्र

1. महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी ।

आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते ।

देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः !

नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

2. तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया ।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया ।।

3. ऊँ श्री त्रिपुराय विद्महे तुलसी पत्राय धीमहि तन्नो: तुलसी प्रचोदयात।।

वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |

पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।

एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |

य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।

4. ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।

यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्”।।

5. ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्।

बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।

6. ॐ अंगिरो जाताय विद्महे वाचस्पतये धीमहि तन्नो गुरु प्रचोदयात्।।

7. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

8. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

9. ॐ नमो भगवते धनवंतराय

अमृताकर्षणाय धन्वन्तराय

वेधासे सुराराधिताय धन्वंतराय

सर्व सिद्धि प्रदेय धन्वंतराय

सर्व रक्षा कारिणेय धन्वंतराय

सर्व रोग निवारिणी धन्वंतराय

सर्व देवानां हिताय धन्वंतराय

सर्व मनुष्यानाम हिताय धन्वन्तराय

सर्व भूतानाम हिताय धन्वन्तराय

सर्व लोकानाम हिताय धन्वन्तराय

सर्व सिद्धि मंत्र स्वरूपिणी

धन्वन्तराय नमः।

10. ध्याये न्नृसिंहं तरुणार्कनेत्रं सिताम्बुजातं ज्वलिताग्रिवक्त्रम्।

अनादिमध्यान्तमजं पुराणं परात्परेशं जगतां निधानम्।।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।