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Ganesh Mantra: बुधवार के दिन पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, चमक उठेगा सोया हुआ भाग्य

ज्योतिष कारोबार में आ रही मंदी को दूर करने के लिए भगवान गणेश की पूजा करने की सलाह देते हैं। भगवान गणेश की पूजा करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है। कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होने से करियर और कारोबार को नया आयाम मिलता है। इसके लिए जातक श्रद्धा भाव से बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 09 Jul 2024 01:58 PM (IST)
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Ganesh Mantra: कुंडली में बुध ग्रह कैसे मजबूत करें ?
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ganesh Mantra: बुधवार का दिन भगवान गणेश को अति प्रिय है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा करने से आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। शुभ कार्यों में सिद्धि पाने के लिए साधक बुधवार के दिन भगवान गणेश के निमित्त व्रत भी रखते हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर मनोकमना अवश्य ही पूरी होती है। साधक पूजा के समय विशेष उपाय भी करते हैं। साथ ही मंत्र जप भी करते हैं। अगर आप भी भगवन गणेश की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन विधि विधान से भगवान गणेश की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

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गणेश मंत्र

1. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥

विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।

द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत्‌ क्वचित्‌ ।

2. वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

3. शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।

येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥

चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।

विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥

तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।

साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥

चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।

सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥

अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।

तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥

इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।

एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥

तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।

क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥

4. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

5. ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

6. ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

7. ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

8. स्वस्ति श्रीगणनायकं गजमुखं मोरेश्वरं सिद्धिदम् ॥

9. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा ।

10. श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजन में वशमानाय स्वाहा

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।