Shani Mantra And Aarti: शनिवार के दिन पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप और आरती, सभी संकटों से मिलेगी मुक्ति
Shani Mantra And Aarti ज्योतिषियों की मानें तो शनिदेव की कुदृष्टि पड़ जाने के बाद व्यक्ति को जीवन में ढेर सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। सभी शुभ कार्यों में बाधा आने लगती है। आर्थिक नकुसान से व्यक्ति तनावग्रस्त हो जाता है। कुल मिलाकर कहें तो शनि की कुदृष्टि व्यक्ति विशेष के लिए शुभ नहीं होता है। अत साधक विधि-विधान से शनिदेव की पूजा-उपासना करते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sat, 16 Sep 2023 07:00 AM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Shani Mantra And Aarti: शनिवार के दिन न्याय के देवता शनिदेव की पूजा-उपासना श्रद्धा भाव से की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास भी रखा जाता है। शनिदेव को न्याय का देवता भी कहा जाता है। उनकी कृपा बरसने से जातक अल्प समय में ही धनवान बन जाता है। वहीं, बुरे कर्म करने वाले को शनिदेव दंड देते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो शनिदेव की कुदृष्टि पड़ जाने के बाद व्यक्ति को जीवन में ढेर सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। सभी शुभ कार्यों में बाधा आने लगती है। आर्थिक नकुसान से व्यक्ति तनावग्रस्त हो जाता है। कुल मिलाकर कहें तो शनि की कुदृष्टि व्यक्ति विशेष के लिए शुभ नहीं होता है। अत: साधक विधि-विधान से शनिदेव की पूजा-उपासना करते हैं। अगर आप भी शनिदेव की कृपा पाना चाहते हैं, तो शनिवार के दिन पूजा के समय निम्न मंत्रों का जाप और आरती अवश्य करें। इन मंत्रों के जाप से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। आइए, मंत्रों का जाप और आरती करते हैं-
शनि देव के मंत्र
1.ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।2.
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः।3.ॐ नीलाजंन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।4.ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।
5.ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।6.ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।7.अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।गतं पापं गतं दु: खं गतं दारिद्रय मेव च।आगता: सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्।।
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शनिदेव की आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी। सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥जय जय श्री शनि देव।श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥जय जय श्री शनि देव।क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥जय जय श्री शनि देव।मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥जय जय श्री शनि देव। देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥जय जय श्री शनि देव।जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी। सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।