Move to Jagran APP

Devshayani Ekadashi 2023: आज पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप, प्राप्त होगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद

Devshayani Ekadashi 2023 भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है। अतः एकादशी तिथि पर तुलसी माता की पूजा विधि विधान से करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। उनकी कृपा साधक पर बरसती है। अगर आप आय और सौभाग्य में वृद्धि पाना चाहते हैं तो एकादशी तिथि पर स्नान-ध्यान के बाद तुलसी की जड़ में कच्चा दूध जरूर अर्पित करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 29 Jun 2023 07:00 AM (IST)
Hero Image
Devshayani Ekadashi 2023: आज पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप, प्राप्त होगा भगवान विष्णु का आशीर्वाद
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Devshayani Ekadashi 2023: आज देवशयनी एकादशी है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की श्रद्धा भाव से पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही साधक जगत के पालनहार भगवान विष्णु के निमित्त एकादशी का व्रत भी रखते हैं। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी व्रत करने से साधक के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है। अतः साधक एकादशी तिथि पर विधि विधान से भगवान विष्णु की भक्ति उपासना करते हैं। अगर आप भी भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो आज पूजा के समय इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। इन मंत्रों के जाप से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आइए, मंत्र जाप करें-

भगवान विष्णु के मंत्र

विष्णु मंत्र

शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

विष्णु मंत्र

ॐ नमोः नारायणाय॥

श्री विष्णु भगवते वासुदेवाय मंत्र

ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

विष्णु गायत्री मंत्र

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।

तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

विष्णु मंगल मंत्र

मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।

मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

दुख नाशक मंत्र

कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।

प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।

धन्वंतरि मंत्र

ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्वरोगनिवारणाय

त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

ॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृत कलश हस्ताय सर्व आमय

विनाशनाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णवे नमः ||

नृसिंह अष्टकम

श्रीमदकलङ्कपरिपूर्णशशिकोटि- श्रीधर मनोहरसटापटलकान्त ।

पालय कृपालय भवाम्बुधिनिमग्नं दैत्यवरकाल नरसिंह नरसिंह ॥

पादकमलावनतपातकिजनानां पातकदवानलपतत्रि वरकेतो ।

भावनपरायण भवार्तिहरया मां पाहि कृपयैव नरसिंह नरसिंह ॥

तुङ्गनखपङ्क्तिदलितासुरवरासृ- क्पङ्कनवकुङ्‌कुमविपङ्किलमहोरः ।

पण्डितनिधान कमलालय नमस्ते पङ्कजनिषण्ण नरसिंह नरसिंह ॥

मौलिषु विभूषणमिवामरवराणां योगिहृदयेषु च शिरस्सु निगमानाम् ।

राजदरविन्दरुचिरं पदयुगं ते धेहि मम मूर्ध्नि नरसिंह नरसिंह ॥

वारिजविलोचन मदन्तिमदशायां क्लेशविवशीकृतसमस्तकरणायाम् ।

एहि रमया सह शरण्य विहगानां नाथमधिरुह्य नरसिंह नरसिंह ॥

हाटककिरीटवरहारवनमाला- ताररशनामकरकुण्डलमणीन्द्रैः ।

भूषितमशेषनिलयं तव वपुर्मे चेतसि चकास्तु नरसिंह नरसिंह ॥

इन्दुरविपावकविलोचन रमाया मन्दिर महाभुजलसद्वररथाङ्ग ।

सुन्दर चिराय रमतां त्वयि मनो मे नन्दितसुरेश नरसिंह नरसिंह ॥

माधव मुकुन्द मधुसूदन मुरारे वामन नृसिंह शरणं भव नतानाम् ।

कामद घृणिन् निखिलकारण नयेयं कालममरेश नरसिंह नरसिंह ॥

अष्टकमिदं सकलपातकभयघ्नं कामदमशेषदुरितामयरिपुघ्नम् ।

यः पठति सन्ततमशेषनिलयं ते गच्छति पदं स नरसिंह नरसिंह ॥

डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'