Sankashti Chaturthi 2023: आज पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप, प्राप्त होगा भगवान गणेश का आशीर्वाद
धार्मिक मान्यता है कि हेरंब संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से व्यक्ति को अतुल बल की प्राप्ति होती है। इस बल के माध्यम से व्यक्ति अपने दुश्मनों को परास्त करने में सक्षम होता है। साथ ही व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। भगवान गणेश की विशेष कृपा पाने के लिए आज पूजा के समय इन मंत्रों का जाप अवश्य करें।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 03 Sep 2023 10:16 AM (IST)
नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Sankashti Chaturthi 2023: आज हेरंब संकष्टी चतुर्थी है। इस दिन विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही विशेष कार्यों में सिद्धि प्राप्ति हेतु साधक व्रत उपवास भी रखते हैं। सनातन शास्त्रों में भगवान गणेश के हेरंब स्वरूप का वर्णन किया गया है। इस स्वरूप में भगवान गणेश के पांच मुख हैं। आशय है कि भगवान गणेश पंचमुखी हैं। भगवान गणेश के हेरंब स्वरूप की नेपाल में विशेष पूजा उपासना की जाती है। इसका शाब्दिक अर्थ असहाय लोगों की रक्षा करना है।
धार्मिक मान्यता है कि हेरंब संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से व्यक्ति को अतुल बल की प्राप्ति होती है। इस बल के माध्यम से व्यक्ति अपने दुश्मनों को परास्त करने में सक्षम होता है। साथ ही व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट भी दूर हो जाते हैं। अगर आप भी भगवान गणेश की विशेष कृपा पाना चाहते हैं, तो आज पूजा के समय इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। इन मंत्रों के जाप से व्यक्ति को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। आइए, मंत्र जाप करते हैं-
भगवान गणेश के मंत्र
1.ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
2.॥ ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥
3.महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।4.ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति. करो दूर क्लेश ।।5.ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।6.ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।
7.गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥8.संकट नाशक मंत्रगणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत् ॥विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित् ।
9.ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।10.गणेश मंत्र स्तोत्रशृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥
तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥
तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'