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Hanuman Mantra: मंगलवार के दिन पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप, सभी संकटों से मिलेगी निजात

Hanuman Mantra मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन श्रद्धा भाव से भगवान श्रीराम और माता जानकी संग हनुमान जी की पूजा की जाती है। साथ ही हनुमान जी के निमित्त व्रत उपवास भी रखा जाता है। ज्योतिष भी कुंडली में मंगल दोष को दूर करने और मनचाही मुराद पाने के लिए मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने की सलाह देते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 18 Sep 2023 01:12 PM (IST)
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Hanuman Mantra: मंगलवार के दिन पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप, सभी संकटों से मिलेगी निजात
नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Hanuman Mantra: मंगलवार का दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी को समर्पित होता है। इस दिन श्रद्धा भाव से भगवान श्रीराम और माता जानकी संग हनुमान जी की पूजा की जाती है। साथ ही हनुमान जी के निमित्त व्रत उपवास भी रखा जाता है। ज्योतिष भी कुंडली में मंगल दोष को दूर करने और मनचाही मुराद पाने के लिए मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने की सलाह देते हैं। मंगलवार के दिन बजरंगबली की उपासना करने से कुंडली में मंगल मजबूत होता है। साथ ही मंगल दोष का प्रभाव कम हो जाता है। अगर आप भी जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुखों से निजात पाना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जाप करें। इन मंत्रों के जाप से समस्त प्रकार के दुख और संताप दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं-

हनुमान जी के मंत्र

1.

ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय अक्षिशूलपक्षशूल शिरोऽभ्यन्तर

शूलपित्तशूलब्रह्मराक्षसशूलपिशाचकुलच्छेदनं निवारय निवारय स्वाहा।

2.

ओम नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय

सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।

3.

ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहरणाय

सर्वरोगहराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।

4.

आदिदेव नमस्तुभ्यं सप्तसप्ते दिवाकर!

त्वं रवे तारय स्वास्मानस्मात्संसार सागरात!!

5.

ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय

नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः।

प्रनवउं पवनकुमार खल बन पावक ग्यानधन।

जासु हृदय आगार बसिंह राम सर चाप घर।।

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6.

मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं कपीश्वर |

यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे ||

7.

वायुपुत्र ! नमस्तुभ्यं पुष्पं सौवर्णकं प्रियम् |

पूजयिष्यामि ते मूर्ध्नि नवरत्न – समुज्जलम् ||

8.

ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय

प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।

9.

प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ज्ञानघन ।

जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर ॥

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम् ।

दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ॥

सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम् ।

रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ॥

हनुमान नमस्कार

गोष्पदीकृत वारीशं मशकीकृत राक्षसम् ।

रामायण महामाला रत्नं वन्देऽनिलात्मजम् ॥

अञ्जनानन्दनं वीरं जानकी शोकनाशनम् ।

कपीशमक्ष हन्तारं वन्दे लङ्का भयङ्करम् ॥ २॥

महा व्याकरणाम्भोधि मन्थ मानस मन्दरम् ।

कवयन्तं राम कीर्त्या हनुमन्तमुपास्महे ॥

उल्लङ्घ्य सिन्धोः सलिलं सलीलं

यः शोक वह्निं जनकात्मजायाः ।

आदाय तेनैव ददाह लङ्कां

नमामि तं प्राञ्जलिराञ्जनेयम् ॥

मनोजवं मारुत-तुल्य-वेगं

जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।

वातात्मजं वानर यूथ-मुख्यं

श्रीराम दूतं शिरसा नमामि ॥

आञ्जनेयमतिपाटलाननं

काञ्चनाद्रि कमनीय विग्रहम् ।

पारिजात तरुमूलवासिनं

भावयामि पवमाननन्दनम् ॥

यत्र यत्र रघुनाथ-कीर्तनं

तत्र तत्र कृत-मस्तकाञ्जलिम् ।

बाष्प-वारि-परिपूर्ण-लोचनं

मारुतिर्नमत राक्षसान्तकम् ॥

10.

मर्कटेश महोत्साह सर्वशोक विनाशन ।

शत्रून संहर मां रक्षा श्रियं दापय मे प्रभो।।

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