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Anant Chaturdashi 2023: अनंत चतुर्दशी पर करें इन शक्तिशाली मंत्रों का जाप, बन जाएंगे सभी बिगड़े काम

Anant Chaturdashi 2023 धार्मिक मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। वहीं रक्षा सूत्र बांधने से जीवन में व्याप्त दुख और संताप दूर हो जाते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करते हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 27 Sep 2023 06:40 PM (IST)
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Anant Chaturdashi 2023: अनंत चतुर्दशी पर करें इन शक्तिशाली मंत्रों का जाप, बन जाएंगे सभी बिगड़े काम
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Anant Chaturdashi 2023: हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। इस वर्ष 28 सितंबर को अनंत चतुर्दशी है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 27 सितंबर को रात 10 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 28 सितंबर को संध्याकाल 06 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। अतः देशभर में चतुर्दशी तिथि 28 सितंबर को मनाई जा रही है। इस दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है।

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धार्मिक मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी तिथि पर भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। वहीं, रक्षा सूत्र बांधने से जीवन में व्याप्त दुख और संताप दूर हो जाते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करते हैं। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनने चाहते हैं, तो अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। इन मंत्रों के जाप से सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं।

भगवान विष्ण के मंत्र

1. अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।

अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।

2. शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभांगम

लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं।

वंदे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।

3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

4. कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा ।

बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतिस्वभावात् ।

करोमि यद्यत्सकलं परस्मै ।

नारायणयेति समर्पयामि ॥

कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा

बुद्ध्यात्मना वानुसृतस्वभावात् ।

करोति यद्यत्सकलं परस्मै

नारायणयेति समर्पयेत्तत् ॥

5. शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।

प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ॥

6. ध्याये न्नृसिंहं तरुणार्कनेत्रं सिताम्बुजातं ज्वलिताग्रिवक्त्रम्।

अनादिमध्यान्तमजं पुराणं परात्परेशं जगतां निधानम्।।

7. श्री विष्णु स्तोत्र

किं नु नाम सहस्त्राणि जपते च पुन: पुन: ।

यानि नामानि दिव्यानि तानि चाचक्ष्व केशव: ।।

मत्स्यं कूर्मं वराहं च वामनं च जनार्दनम् ।

गोविन्दं पुण्डरीकाक्षं माधवं मधुसूदनम् ।।

पदनाभं सहस्त्राक्षं वनमालिं हलायुधम् ।

गोवर्धनं ऋषीकेशं वैकुण्ठं पुरुषोत्तमम् ।।

विश्वरूपं वासुदेवं रामं नारायणं हरिम् ।

दामोदरं श्रीधरं च वेदांग गरुड़ध्वजम् ।।

अनन्तं कृष्णगोपालं जपतो नास्ति पातकम् ।

गवां कोटिप्रदानस्य अश्वमेधशतस्य च ।।

कन्यादानसहस्त्राणां फलं प्राप्नोति मानव:

अमायां वा पौर्णमास्यामेकाद्श्यां तथैव च ।।

संध्याकाले स्मरेन्नित्यं प्रात:काले तथैव च ।

मध्याहने च जपन्नित्यं सर्वपापै: प्रमुच्यते ।।

8. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

9. ॐ अंगिरो जाताय विद्महे वाचस्पतये धीमहि तन्नो गुरु प्रचोदयात्।।

10. कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।

प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः।

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