Maa Laxmi Mantra: शुक्रवार के दिन करें इन चमत्कारी मंत्रों का जाप, आय और सौभाग्य में होगी अपार वृद्धि
Maa Laxmi Mantra सनातन शास्त्रों में निहित है कि धन की देवी मां लक्ष्मी एक स्थान पर अधिक समय तक नहीं ठहरती हैं। आसान शब्दों में कहें तो धन की देवी मां लक्ष्मी स्वभाव से बेहद चंचल हैं। आचार्य चाणक्य ने भी अपनी रचना नीति शास्त्र में इसका उल्लेख किया है। इसके लिए नियमित रूप से मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना करनी चाहिए।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 14 Sep 2023 01:14 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Maa Laxmi Mantra: सनातन धर्म में शुक्रवार के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और कुबेर देव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन साधक विशेष कार्य में सिद्धि पाने हेतु लक्ष्मी वैभव व्रत भी रखते हैं। इस व्रत को पुरुष और स्त्री दोनों कर सकते हैं। व्रत में अंतराल रखने का भी विधान है। धार्मिक मान्यता है कि शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना करने से साधक के आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही धन संबंधी सभी परेशानी दूर हो जाती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से धन की देवी मां लक्ष्मी की उपासना करते हैं।
शास्त्रों में निहित है कि मां लक्ष्मी एक स्थान पर अधिक समय तक नहीं ठहरती हैं। आसान शब्दों में कहें तो धन की देवी मां लक्ष्मी स्वभाव से बेहद चंचल हैं। आचार्य चाणक्य ने भी अपनी रचना नीति शास्त्र में इसका उल्लेख किया है। इसके लिए नियमित रूप से मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना करनी चाहिए। अगर आप भी मां लक्ष्मी की कृपा-दृष्टि के भागी बनना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। इन मंत्रों के जाप से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। उनकी कृपा से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं।
मां लक्ष्मी के मंत्र
1.ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥2.ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥3.ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्यनाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।4.ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम
गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा ।5.ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।6.ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीदप्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥7.ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।8.
ऊँ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:।।9.आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।10.ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
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