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Makar Sankranti 2023: सुख और समृद्धि पाने के लिए मकर संक्रांति के दिन जरूर करें इन मंत्रों का जाप

Makar Sankranti 2023 सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास भी समाप्त हो जाता है। इसके लिए आज से सभी मांगलिक कार्य किए जाएंगे। इस दिन सूर्यदेव की पूजा उपासना की जाती है। भगवान सूर्यदेव ऊर्जा का एकमात्र स्त्रोत हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 15 Jan 2023 07:49 AM (IST)
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Makar Sankranti 2023: सुख और समृद्धि पाने के लिए मकर संक्रांति के दिन जरूर करें इन मंत्रों का जाप

नई दिल्ली, Makar Sankranti 2023: आज मकर संक्रांति है। यह पर्व हर साल माघ माह में मनाया जाता है। हालांकि, तिथि में मामूली अंतर होता है। इस वर्ष मकर संक्रांति 15 जनवरी यानी आज है। सामान्यतः मकर संक्रांति हर वर्ष 14 जनवरी को मनाई जाती है। इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास भी समाप्त हो जाता है। इसके लिए आज से सभी मांगलिक कार्य किए जाएंगे। इस दिन सूर्यदेव की पूजा उपासना की जाती है। भगवान सूर्यदेव ऊर्जा का एकमात्र स्त्रोत हैं। ज्योतिषों की मानें तो कुंडली में सूर्य के मजबूत रहने से करियर और कारोबार में किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं आती है। इसके लिए सूर्य देव की पूजा श्रद्धा भाव से करनी चाहिए। साथ ही पूजा करते समय इन मंत्रों का जाप करना चाहिए। इससे घर में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। आइए जानते हैं-

1.

एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।

अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।

2.

ॐ ॐ ॐ ॐ भूर् भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं।

भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।।

3.

शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।

विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।

लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।"

4.

सूर्याष्टकम

आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।

दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते

सप्ताश्वरथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम् ।

श्वेतपद्मधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

लोहितं रथमारूढं सर्वलोकपितामहम् ।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

त्रैगुण्यं च महाशूरं ब्रह्मविष्णुमहेश्वरम् ।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

बृंहितं तेजःपुञ्जं च वायुमाकाशमेव च ।

प्रभुं च सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

बन्धुकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम् ।

एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

तं सूर्यं जगत्कर्तारं महातेजः प्रदीपनम् ।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम् ।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्

5.

सूर्य कवच

श्रणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम्।

शरीरारोग्दं दिव्यं सव सौभाग्य दायकम्।।

देदीप्यमान मुकुटं स्फुरन्मकर कुण्डलम।

ध्यात्वा सहस्त्रं किरणं स्तोत्र मेततु दीरयेत्।।

शिरों में भास्कर: पातु ललाट मेडमित दुति:।

नेत्रे दिनमणि: पातु श्रवणे वासरेश्वर:।।

ध्राणं धर्मं धृणि: पातु वदनं वेद वाहन:।

जिव्हां में मानद: पातु कण्ठं में सुर वन्दित:।।

सूर्य रक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्ज पत्रके।

दधाति य: करे तस्य वशगा: सर्व सिद्धय:।।

सुस्नातो यो जपेत् सम्यग्योधिते स्वस्थ: मानस:।

सरोग मुक्तो दीर्घायु सुखं पुष्टिं च विदंति।।

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