Surya Grahan 2023: साल का पहला सूर्य ग्रहण आज, मनोकामना पूर्ति के लिए करें इन मंत्रों का जाप
Surya Grahan 2023 इस साल का पहल सूर्यग्रहण 20 अप्रैल को है। ज्योतिषों की मानें तो ग्रहण के समय राहु और केतु की बुरी छाया पृथ्वी पर रहती है। इसके लिए ग्रहण के समय ईश्वर का ध्यान और मंत्र जाप करना चाहिए। जानें उन मंत्रों के बारे में।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 20 Apr 2023 08:33 AM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Surya Grahan 2023: आज साल का पहला सूर्य ग्रहण लगा है। यह सूर्य ग्रहण थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया, अमेरिका, मलेशिया, कंबोडिया, जापान, चीन, सिंगापुर, दक्षिण प्रशांत महासागर और दक्षिण हिंद महासागर में दिखाई देगा। सूर्य ग्रहण का समय 07 बजकर 04 मिनट से प्रारम्भ होकर दिन के 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगा। ज्योतिषों की मानें तो ग्रहण के समय राहु और केतु की बुरी छाया पृथ्वी पर रहती है। इसके लिए ग्रहण के समय ईश्वर का ध्यान और मंत्र जाप करना चाहिए। इन मंत्रों के जाप से जातक पर राहु-केतु की बुरी दृष्टि नहीं पड़ती है। साथ ही हर मनोकामना पूरी होती है। आइए, इन मंत्रों के बारे में जानते हैं-
1. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते,
अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:। 2.
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।। 3. “विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥
4. ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्लीं ओम् स्वाहा।। 5. तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन। हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥ 6. ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये
प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:। 7. शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम। विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम। लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।" 8. ॐ ॐ ॐ ॐ भूर् भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।। 9. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: 10. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात्।। ।। श्री सूर्य स्तुति ।। जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन ।।
त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।। सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी। दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।। सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली। अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।। सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी। विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।। कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा। सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी। वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।। सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै। हर अज्ञान-मोह सब, तत्त्वज्ञान दीजै॥ जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।। डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'