Vinayak Chaturthi 2023: अधिक मास की विनायक चतुर्थी पर करें इन मंत्रों का जाप, प्राप्त होगा गणेश जी का आशीर्वाद
Sawan Vinayak Chaturthi 2023 धार्मिक मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के दिन व्रत रख भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती हैं। साथ ही आय और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। अगर आप भी भगवान गणेश का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो विनायक चतुर्थी के दिन भक्ति भाव से गणपति बप्पा की पूजा करें।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Fri, 21 Jul 2023 11:24 AM (IST)
नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Sawan Vinayak Chaturthi 2023: आज अधिक मास की विनायक चतुर्थी है। साधक विनयक चतुर्थी पर श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही विशेष कार्य में सिद्धि प्राप्ति हेतु व्रत-उपवास रखा जा रहा है। धार्मिक मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के दिन व्रत रख भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती हैं। साथ ही आय और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और सिद्धिविनायक कहा जाता है। अतः भगवान गणेश के उपासकों को सभी कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। अगर आप भी भगवान गणेश का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो विनायक चतुर्थी के दिन भक्ति भाव से गणपति बप्पा की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जाप करें-
भगवान गणेश के मंत्र
ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
गणेश गायत्री मंत्रॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥गणेश बीज मंत्र
ऊँ गं गणपतये नमो नमः ।धन प्राप्ति मंत्रॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।वक्रतुण्ड गणेश मंत्र || तंत्र मंत्रॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश।सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्रश्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥विघ्न नाशक मंत्र
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत् ॥विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित् ।नौकरी प्राप्ति के लिए मंत्रॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।गणेश मंत्र स्तोत्र
शृणु पुत्र महाभाग योगशान्तिप्रदायकम् ।येन त्वं सर्वयोगज्ञो ब्रह्मभूतो भविष्यसि ॥चित्तं पञ्चविधं प्रोक्तं क्षिप्तं मूढं महामते ।विक्षिप्तं च तथैकाग्रं निरोधं भूमिसज्ञकम् ॥तत्र प्रकाशकर्ताऽसौ चिन्तामणिहृदि स्थितः ।साक्षाद्योगेश योगेज्ञैर्लभ्यते भूमिनाशनात् ॥चित्तरूपा स्वयंबुद्धिश्चित्तभ्रान्तिकरी मता ।सिद्धिर्माया गणेशस्य मायाखेलक उच्यते ॥
अतो गणेशमन्त्रेण गणेशं भज पुत्रक ।तेन त्वं ब्रह्मभूतस्तं शन्तियोगमवापस्यसि ॥इत्युक्त्वा गणराजस्य ददौ मन्त्रं तथारुणिः ।एकाक्षरं स्वपुत्राय ध्यनादिभ्यः सुसंयुतम् ॥तेन तं साधयति स्म गणेशं सर्वसिद्धिदम् ।क्रमेण शान्तिमापन्नो योगिवन्द्योऽभवत्ततः ॥डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।