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Guru Mantra: कुंडली में गुरु मजबूत करने के लिए करें इन मंत्रों का जाप, आय और सौभाग्य में होगी वृद्धि

Guru Mantra धार्मिक मान्यता है कि गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। साथ ही आय और आयु में वृद्धि होती है। इसके अलावा पुत्र तेजस्वी ओजस्वी और मेधावी होता है। अगर आपकी कुंडली में गुरु कमजोर है तो गुरुवार के दिन विधि विधान से भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की पूजा करें।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 20 Sep 2023 07:04 PM (IST)
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Guru Mantra: कुंडली में गुरु मजबूत करने के लिए करें इन मंत्रों का जाप, आय और सौभाग्य में होगी वृद्धि

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Guru Mantra: गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। खासकर, विवाहित और अविवाहित महिलाएं गुरुवार का व्रत रखती हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से विवाहित महिलाओं को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, अविवहित युवतियों की शीघ्र शादी के योग बनने लगते हैं। ज्योतिष भी जीवन में सुखों की प्राप्ति के लिए गुरुवार का व्रत करने की सलाह देते हैं। कुंडली में गुरु कमजोर होने से सभी शुभ कामों में बाधा आती है। अतः कुंडली में गुरु मजबूत रहना अनिवार्य है। 

धार्मिक मान्यता है कि गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। साथ ही आय और आयु में वृद्धि होती है। इसके अलावा, पुत्र तेजस्वी, ओजस्वी और मेधावी होता है। अगर आपकी कुंडली में गुरु कमजोर है, तो गुरुवार के दिन विधि विधान से भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की पूजा करें। वहीं,  पूजा के समय इन मंत्रों का जाप अवश्य करें। आइए, मंत्र जाप करते हैं-

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गुरु मंत्र

बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।

यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।

2.

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः।

3.

ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्।

बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।

4.

ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:॥

ॐ गुं गुरवे नम:॥

ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:॥

ॐ ह्रीं क्लीं हूं बृहस्पतये नमः

5.

ॐ अंगिरो जाताय विद्महे वाचस्पतये धीमहि तन्नो गुरु प्रचोदयात्।।

6.

ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

7.

शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

8.

कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा ।

बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतिस्वभावात् ।

करोमि यद्यत्सकलं परस्मै ।

नारायणयेति समर्पयामि ॥

कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा

बुद्ध्यात्मना वानुसृतस्वभावात् ।

करोति यद्यत्सकलं परस्मै

नारायणयेति समर्पयेत्तत् ॥

9.

शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।

प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ॥

10.

ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।