Maa Kali Mantra: शुक्रवार के दिन करें इन चमत्कारी मंत्रों का जाप, सभी दुखों का चंद दिनों में होगा नाश
Maa Kali Mantra मां कालरात्रि को भद्रकाली भैरवी महाकाली रुद्रानी चामुंडा चंडी रौद्री और धुमोरना भी कहा जाता है। मां का स्वरूप अत्यंत उग्र है किन्तु मां अपने भक्तों पर अपार कृपा-दृष्टि बरसाती हैं। उनकी कृपा से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अतः साधक हर शुक्रवार के दिन मां काली की श्रद्धा-भाव से पूजा-उपासना करते हैं।
By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 20 Jul 2023 05:54 PM (IST)
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Maa Kali Mantra: शुक्रवार के दिन जगत जननी आदि शक्ति मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा उपासना की जाती है। मां दुर्गा का सातवां शक्ति स्वरूप महाकाली हैं। मां कालरात्रि को भद्रकाली, भैरवी, महाकाली, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी, रौद्री और धुमोरना भी कहा जाता है। मां का स्वरूप अत्यंत उग्र है, किन्तु मां अपने भक्तों पर अपार कृपा-दृष्टि बरसाती हैं। उनकी कृपा से साधक के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अतः साधक हर शुक्रवार के दिन मां काली की श्रद्धा-भाव से पूजा-उपासना करते हैं। अगर आप भी जीवन में मौजूद संकटों से निजात पाना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन मां काली के इन चमत्कारी मंत्रों का जाप अवश्य करें। इन मंत्रों के जाप से सभी प्रकार के काल, कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं। मंत्र जाप के समय शुद्धता का अवश्य ध्यान रखें। ऐसा करने से मां काली की कृपा अवश्य ही बरसती है। आइए, मंत्र जाप करते हैं-
मां काली के मंत्र
भद्रकाली मंत्रह्रौं काली महाकाली किलिकिले फट् स्वाहा॥
काली मंत्रऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कालिके क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं॥
काली बीज मंत्रॐ क्रीं कालीतीन अक्षरी काली मंत्र'ॐ क्रीं ह्रुं ह्रीं'पांच अक्षरी काली मंत्र ॐ क्रीं ह्रुं ह्रीं हूँ फट्
सप्ताक्षरी काली मंत्रॐ हूँ ह्रीं हूँ फट् स्वाहामां काली का मंत्रॐ श्री कालिकायै नमःकाली मां का मंत्र”ॐ हरिं श्रीं कलिं अद्य कालिका परम् एष्वरी स्वा:”दक्षिणकाली मंत्रह्रीं ह्रीं ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणकालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं॥
क्रीं ह्रुं ह्रीं दक्षिणेकालिके क्रीं ह्रुं ह्रीं स्वाहा॥ॐ ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके ह्रुं ह्रुं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रुं ह्रुं ह्रीं ह्रीं दक्षिणकालिके स्वाहा॥पूजा हेतु काली मंत्र”कृन्ग कृन्ग कृन्ग हिन्ग कृन्ग दक्षिणे कलिके कृन्ग कृन्ग कृन्ग हरिनग हरिनग हुन्ग हुन्ग स्वा:”
काली गायत्री मंत्र“ॐ महा काल्यै छ विद्यामहे स्स्मसन वासिन्यै छ धीमहि तन्नो काली प्रचोदयात”महाकाली बीज मंत्रॐ क्रीं कालिकायै नमःडिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'